हमत्ता को शुद्ध कर महत्ता किया है।
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उपनिषद भारतीय आध्यात्मिक चिन्तन के मूल आधार हैं, भारतीय आध्यात्मिक दर्शन के स्रोत हैं। वे ब्रह्मविद्या हैं। जिज्ञासाओं के ऋषियों द्वारा खोजे हुए उत्तर हैं। वे चिन्तनशील ऋषियों की ज्ञानचर्चाओं का सार हैं। वे कवि-हृदय ऋषियों की काव्यमय आध्यात्मिक रचनाएँ हैं, अज्ञात की खोज के प्रयास हैं, वर्णनातीत परमशक्ति को शब्दों में प्रस्तुत करनेकि की कोशिशें हैं और उस निराकार, निर्विकार, असीम, अपार को अन्तरदृष्टि से समझने और परिभाषित करने की अदम्य आकांक्षा के लेखबद्ध विवरण हैं।<ref>{{Cite web |url=https://hindi.webdunia.com/hindu-religion/upanishads-116051700033_1.html |title=उपनिषद क्या हैं, आइए समझें |access-date=28 सितंबर 2019 |archive-url=https://web.archive.org/web/20190402165640/http://hindi.webdunia.com/hindu-religion/upanishads-116051700033_1.html |archive-date=2 अप्रैल 2019 |url-status=dead }}</ref>
[[चित्र:MS Indic 37, Isa upanisad. Wellcome L0027330.jpg|center|450px|thumb|'''ईशोपनिषद्''' की पाण्डुलिपि का एक पन्ना]]
 
== उपनिषद शब्द का अर्थ ==
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== विषय-वस्तु ==
[[चित्र:Schopenhauer.jpg|right|thumb|300px250px|19वीं शताब्दी के जर्मन दार्शनिक '''[[आर्थर शोपेनहावर]]''' उपनिषदों से अत्यन्त प्रभावित थे। उनका कहना था कि इनमें 'मानव के श्रेष्ठतम ज्ञान' का सृजन हुआ है।]]
उपनिषदों में मुख्य रूप से 'आत्मविद्या' का प्रतिपादन है, जिसके अन्तर्गत [[ब्रह्म]] और [[आत्मा]] के स्वरूप, उसकी प्राप्ति के साधन और आवश्यकता की समीक्षा की गयी है। [[आत्मज्ञान|आत्मज्ञानी]] के स्वरूप, [[मोक्ष]] के स्वरूप आदि अवान्तर विषयों के साथ ही [[विद्या]], [[अविद्या]], श्रेयस, प्रेयस, आचार्य आदि तत्सम्बद्ध विषयों पर भी भरपूर चिन्तन उपनिषदों में उपलब्ध होता है। वैदिक ग्रन्थों में जो दार्शनिक और आध्यात्मिक चिन्तन यत्र-तत्र दिखाई देता है, वही परिपक्व रूप में उपनिषदों में निबद्ध हुआ है।
 
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== उपनिषदों का स्वरूप ==
[https://radhe-radhe.net/veda-and-upnishad/ उपनिषद] चिंतनशील एवं कल्पाशील मनीषियों की दार्शनिक काव्य रचनाएँ हैं। जहाँ गद्य लिख गए हैं वे भी पद्यमय गद्य-रचनाओं में ऐसी शब्द-शक्ति, ध्वन्यात्मकता, लव एवं अर्थगर्भिता है कि वे किसी दैवी शक्ति की रचनाओं का आभास देते हैं। यह सचमुच अत्युक्ति नहीं है कि उन्हें 'मंत्र' या 'ऋचा' कहा गया। वास्तव में मंत्र या ऋचा का संबंध वेद से है परंतु उपनिषदों की हमत्तामहत्ता दर्शाने के लिए इन संज्ञाओं का उपयोग यहाँ भी कतिपय विद्वानों द्वारा किया जाता है। उपनिषद अपने आसपास के दृश्य संसार के पीछे झाँकने के प्रयत्न हैं। इसके लिए न कोई उपकरण उपलब्ध हैं और न किसी प्रकार की प्रयोग-अनुसंधान सुविधाएँ संभव है। अपनी मनश्चेतना, मानसिक अनुभूति या अंतर्दृष्टि के आधार पर हुए आध्यात्मिक स्फुरण या दिव्य प्रकाश को ही वर्णन का आधार बनाया गया है। उपनिषद अध्यात्मविद्या के विविध अध्याय हैं जो विभिन्न अंत:प्रेरित ऋषियों द्वारा लिखे गए हैं। इनमें विश्व की परमसत्ता के स्वरूप, उसके अवस्थान, विभिन्न प्राकृतिक शक्तियों के साथ उसके संबंध, मानवीय आत्मा में उसकी एक किरण की झलक या सूक्ष्म प्रतिबिंब की उपस्थिति आदि को विभिन्न रूपकों और प्रतीकों के रूप में वर्णित किया गया है। सृष्टि के उद्‍गम एवं उसकी रचना के संबंध में गहन चिंतन तथा स्वयंफूर्त कल्पना से उपजे रूपांकन को विविध बिंबों और प्रतीकों के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है। अंत में कहा यह गया कि हमारी श्रेष्ठ परिकल्पना के आधार पर जो कुछ हम समझ सके, वह यह है। इसके आगे इस रहस्य को शायद परमात्मा ही जानता हो और 'शायद वह भी नहीं जानता हो।'
 
संक्षेप में, वेदों में इस संसार में दृश्यमान एवं प्रकट प्राकृतिक शक्तियों के स्वरूप को समझने, उन्हें अपनी कल्पनानुसार विभिन्न देवताओं का जामा पहनाकर उनकी आराधना करने, उन्हें तुष्ट करने तथा उनसे सांसारिक सफलता व संपन्नता एवं सुरक्षा पाने के प्रयत्न किए गए थे। उन तक अपनी श्रद्धा को पहुँचाने का माध्यम यज्ञों को बनाया गया था। उपनिषदों में उन अनेक प्रयत्नों का विवरण है जो इन प्राकृतिक शक्तियों के पीछे की परमशक्ति या सृष्टि की सर्वोच्च सत्ता से साक्षात्कार करने की मनोकामना के साथ किए गए। मानवीय कल्पना, चिंतन-क्षमता, अंतर्दृष्टि की क्षमता जहाँ तक उस समय के दार्शनिकों, मनीषियों या ऋषियों को पहुँचा सकीं उन्होंने पहुँचने का भरसक प्रयत्न किया। यही उनका तप था।
 
== उपनिषदों का वर्गीकरण ==
वर्तमान समय में २०० से अधिक ग्रन्थ हैं जिन्हे 'उपनिषद' नाम से अभिहित किया जाता है। [[मुक्तिका उपनिषद्]] में १०८ उपनिषदों की सूची दी गयी है जिसमें मुक्तिका उपनिषद स्वयं १०८वें स्थान पर है। उपनिषदों को अनेक प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है।
 
===वेद से सम्बन्ध के आधार पर ===
[[संहिता|वैदिक संहिताओं]] के अनन्तर वेद के तीन प्रकार के ग्रन्थ हैं- ब्राह्राण[[ब्राह्मण-ग्रन्थ|ब्राह्मण]], [[आरण्यक]] और उपनिषद। इन ग्रन्थों का सीधा सम्बन्ध अपने वेद से होता है, जैसे ऋग्वेद के ब्राह्राणब्राह्मणण, ऋग्वेद के आरण्यक और ऋग्वेद के उपनिषदों के साथ ऋग्वेद का संहिता ग्रन्थ मिलकर भारतीय परम्परा के अनुसार '[[ऋग्वेद]]' कहलाता है।
 
किसी उपनिषद का सम्बन्ध किस वेद से है, इस आधार पर उपनिषदों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जाता है-
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इनके अतिरिक्त नारायण, नृसिंह, रामतापनी तथा गोपाल चार उपनिषद् और हैं।
 
<center>
{| class="wikitable"
|+वेद-उपनिषद संबंध
! वेद !!संख्या{{sfn|Parmeshwaranand|2000|pp=404–406}}!! |मुख्य<ref name=PeterHeehs>Peter Heehs (2002), Indian Religions, New York University Press, {{ISBN|978-0814736500}}, pages 60-88</ref>!!सामान्य !!संन्यास<ref name="olivellesamnyasa">[[Patrick Olivelle]] (1992), The Samnyasa Upanisads, Oxford University Press, {{ISBN|978-0195070453}}, pages x-xi, 5</ref>!!शाक्त<ref>AM Sastri, The Śākta Upaniṣads, with the commentary of Śrī Upaniṣad-Brahma-Yogin, Adyar Library, {{oclc|7475481}}</ref>!!वैष्णव<ref>AM Sastri, The Vaishnava-upanishads: with the commentary of Sri Upanishad-brahma-yogin, Adyar Library, {{oclc|83901261}}</ref>!!शैव<ref>AM Sastri, The Śaiva-Upanishads with the commentary of Sri Upanishad-Brahma-Yogin, Adyar Library, {{oclc|863321204}}</ref>!!योग<ref name="ayyangaryoga">[https://archive.org/stream/TheYogaUpanishads/TheYogaUpanisadsSanskritEngish1938#page/n3/mode/2up The Yoga Upanishads] TR Srinivasa Ayyangar (Translator), SS Sastri (Editor), Adyar Library</ref>
|-
![[ऋग्वेद]]
|१०|| style="background: #FFDD00; color: black" |ऐतरेय, कौषीतकि||आत्मबोध, मुद्गल||निर्वाण
|त्रिपूरा, सौभाग्य लक्ष्मी, बहवृच||-||अक्षमालिका
|नादबिंदु
|-
![[सामवेद]]
|१६ || style="background: #FFDD00; color: black" |छांदोग्य, केन||वज्रसुचिक, महा, सावित्री||आरूणीक, मैत्रेय, बृहत-संन्यास, कुंडिक (लघु-संन्यास)||-||वासुदेव, अव्यक्त||रुद्राक्षजबाल, जाबाली||योग चुडामणी, दर्शन
|-
![[यजुर्वेद|कृष्ण यजुर्वेद]]
|३२ || style="background: #FFDD00; color: black" |तैत्तिरीय, कठ, श्वेताश्वर, मैत्रायणी{{refn|group=note|Parmeshwaranand classifies Maitrayani with Samaveda, most scholars with Krishna Yajurveda{{sfn|Parmeshwaranand|2000|pp=404–406}}<ref>Paul Deussen, Sixty Upanishads of the Veda, Volume 1, Motilal Banarsidass, {{ISBN|978-8120814684}}, pages 217-219</ref>}}||सर्वसार, सुखरहस्य, स्कंध, गर्भ, शारीरक, एकाक्षर, अक्षि||ब्रह्म, (लधु, बृहद) अवधूत, कठश्रुति||सरस्वतीरहस्य
|नारायण, कलि-संतरण||कैवल्य, कालाग्नि रुद्र, दक्षिणामूर्ति, रुद्रहृदय, पंचब्रह्म||अमृतबिंदु, तेजोबिंदु, अमृतनाद, क्षुरीक, ध्यानबिंदु, ब्रह्मविद्या, योगतत्व, योगशिखा, योगकुंडलिनी, वराह
|-
![[यजुर्वेद|शुकल यजुर्वेद]]
|१९ || style="background: #FFDD00; color: black" |बृहदारण्यक, इशावास्य||सुबल, मांत्रिक, नीरालंब, पिंगळ, अध्यात्म, मुक्तिका||जाबला, परमहंस, भिक्षुक, तुरियातीता-अवधुत, याज्ञवल्क्य, सत्य्यानिया||-||तार-सार
|<nowiki>-</nowiki>||अद्वयतारक, हंस, त्रिशिखी, मंडल
|-
![[अथर्ववेद]]
|३१ || style="background: #FFDD00; color: black" |मुंडक, मांडुक्य, प्रश्न||आत्मा, सूर्य, प्रांगनिहोत्रा<ref>Prāṇāgnihotra is missing in some anthologies, included by Paul Deussen (2010 Reprint), Sixty Upanishads of the Veda, Volume 2, Motilal Banarsidass, {{ISBN|978-8120814691}}, page 567</ref>||अशर्म, नारद-परिव्राजक, परमहंस परिव्राजक, परब्रह्म||सीता, देवी, त्रिपुरातापनि, भावना||नृसिंहतापनी, महानारायण (त्रिपद्विभूति), रामरहस्य, रामतापणी, गोपालतपणि, कृष्ण, हयग्रीव, दत्तात्रेय, गरुड||अथर्वशिर,<ref>Atharvasiras is missing in some anthologies, included by Paul Deussen (2010 Reprint), Sixty Upanishads of the Veda, Volume 2, Motilal Banarsidass, {{ISBN|978-8120814691}}, page 568</ref> अथर्वशिख, बृहज्जबाल, शरभ, भस्मजाबाल, गणपति||शांडिल्य, पाशुपत, महावाक्य
|-
|style="background: #FFCC88; color: black"|कुल उपनिषद|| style="background: #FFCC88; color: black" |१०८|| style="background: #FFCC88; color: black" |१३{{refn|group=note|name=mukhya101213}}|| style="background: #FFCC88; color: black" | २१ || style="background: #FFCC88; color: black" |१९|| style="background: #FFCC88; color: black" |८ || style="background: #FFCC88; color: black" |१४|| style="background: #FFCC88; color: black" |१३ || style="background: #FFCC88; color: black" |२०
|}
</center>
 
=== मुख्य उपनिषद एवं गौण उपनिषद===
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(१) श्वेताश्वतर (२) कौषीतकि तथा (३) मैत्रायणी।
 
अन्य उपनिषद् तत्तद्भिन्न-भिन्न देवता विषयक होने के कारण 'तांत्रिक' माने जाते हैं। ऐसे उपनिषदों में [[शैव]], [[शाक्त]], [[वैष्णव]] तथा [[योग]] विषयक उपनिषदों की प्रधान गणना है।
 
=== प्रतिपाद्य विषय के आधार पर===
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://www.shdvef.com/religious-scriptures/upnishad/ ७० से अधिक उपनिषद] (हिन्दी अर्थ सहित)
* [http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/2337876.cms उपनिषदों ने आत्मनिरीक्षण का मार्ग बताया]
* [https://upanishads.org.in/glossary# उपनिषद् शब्दावली] ()
=== मूल ग्रन्थ ===
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* [https://web.archive.org/web/20101229070903/http://www.celextel.org/108upanishads/ Complete translation on-line into English of all 108 Upaniṣad-s] [not only the 11 (or so) major ones to which the foregoing links are meagerly restricted]-- lacking, however, diacritical marks
* [https://web.archive.org/web/20130418224450/http://hinduquotes.blogspot.com/ Quotes]
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
{{उपनिषद}}
{{भारतीय दर्शन}}
{{हिन्दू धर्म}}
[[उपनिषद्]]
 
[[श्रेणी:वेद]]