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[[चित्र:Cattle and sheep.jpg|thumb|300px|भेड़ें और पशु चर रहे हैं।]] '''पशुपालन''' [[कृषि विज्ञान]] की वह शाखा है जिसके अंतर्गत [[पालतू पशु|पालतू पशुओं]] के विभिन्न पक्षों जैसे [[भोजन]], आश्रय, स्वास्थ्य, [[जनन|प्रजनन]] आदि का अध्ययन किया जाता है। पशुपालन का पठन-पाठन विश्व के विभिन्न विश्वविद्यालयों में एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में किया जा रहा है। '''जिनसेन मठ''' [[कोल्हापुर]] का प्रधान जैन मठ है यहाँ के स्वामी [[भट्टारक]] लक्ष्मीसेन है जो भारत के सबसे बड़े भट्टारक है कोल्हापुर क्षेत्र के सभी जैन (ब्राह्मण,वैश्य,क्षत्रिय,शूद्र) इनकी आज्ञा का पालन करते है
 
== परिचय ==
[[Image:Vaca y cría.JPG|thumb|30ppx|गाय और उसका बछड़ा]]
[[भारतीय अर्थव्यवस्था]] में [[कृषि]] एवं पशुपालन का विशेष महत्व है। सकल घरेलू कृषि उत्पाद में पशुपालन का 28-30 प्रतिशत का योगदान सराहनीय है जिसमें [[दूध|दुग्ध]] एक ऐसा उत्पाद है जिसका योगदान अन्य उत्पादों की तुलना में सर्वाधिक है। भारत में विश्व की कुल संख्या का 15 प्रतिशत [[गाय|गायें]] एवं 55 प्रतिशत [[भैंस|भैंसेंभेड़]] है और देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 53 प्रतिशत भैंसों व 43 प्रतिशत गायों और 3 प्रतिशत बकरियों से प्राप्त होता है। भारत लगभग 121.8 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन करके विश्व में प्रथम स्थान पर है जो कि एक मिसाल है और उत्तर प्रदेश इसमें अग्रणी है। यह उपलब्धि पशुपालन से जुड़े विभिन्न पहलुओं ; जैसे- मवेशियों की नस्ल, पालन-पोषण, स्वास्थ्य एवं आवास प्रबंधन इत्यादि में किए गये अनुसंधान एवं उसके प्रचार-प्रसार का परिणाम है। लेकिन आज भी कुछ अन्य देशों की तुलना में हमारे पशुओं का दुग्ध उत्पादन अत्यन्त कम है और इस दिशा में सुधार की बहुत संभावनायें है।
 
छोटे, भूमिहीन तथा सीमान्त किसान जिनके पास फसल उगाने एवं बड़े पशु पालने के अवसर सीमित है, छोटे पशुओं जैसे भेड़-बकरियाँ, सूकर एवं मुर्गीपालन रोजी-रोटी का साधन व गरीबी से निपटने का आधार है। विश्व में पशुपालन के क्षेत्र में हमारा स्थान [[बकरी|बकरियों]] की संख्या में दूसरा, [[भेड़|भेड़ों]] की संख्या में तीसरा एवं [[कुक्कुट]] संख्या में सातवाँ है। कम खर्चे में, कम स्थान एवं कम मेहनत से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए छोटे पशुओं का अहम योगदान है। अगर इनसे सम्बंधित उपलब्ध नवीनतम तकनीकियों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाय तो निःसंदेह ये छोटे पशु गरीबों के [[आर्थिक विकास]] में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
 
[[भारतीय अर्थव्यवस्था]] में पशुपालन का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि एवं पशुपालन पर निर्भर है। छोटे व सीमांत किसानों के पास कुल कृषि भूमि की 30 प्रतिशत जोत है। इसमें 70 प्रतिशत कृषक पशुपालन व्यवसाय से जुड़े है जिनके पास कुल पशुधन का 80 प्रतिशत भाग मौजूद है। स्पष्ट है कि देश का अधिकांश पशुधन, आर्थिक रूप से निर्बल वर्ग के पास है। भारत में लगभग 19.91 करोड़ गाय, 10.53 करोड़ भैंस, 14.55 करोड़ बकरी, 7.61 करोड़ भेड़, 1.11 करोड़ [[सूअर|सूकर]] तथा 68.88 करोड़ [[मुर्गी]] का पालन किया जा रहा है। उत्पादन की दृष्टि से भारत 121.8 मिलियन टन दुग्धउत्पादनदुग्ध उत्पादन के साथ विश्व में प्रथम, [[अण्डा]] उत्पादन में 53200 करोड़ के साथ विश्व में तृतीय तथा मांस उत्पादन में सातवें स्थान पर है। यही कारण है कि कृषि क्षेत्र में जहाँ हम मात्र 1-2 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त कर रहे हैं वहीं पशुपालन से 4-5 प्रतिशत। इस तरह पशुपालन व्यवसाय में ग्रामीणों को रोजगार प्रदान करने तथा उनके सामाजिक एवं आर्थिक स्तर को ऊँचा उठाने की अपार सम्भावनायें हैं।
 
== पशुपालन कार्य ==
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*3. पशु को स्वच्छ पानी पिलायें।
*4. पशु को सुबह एवं सायं नहलायें।
*5. पशु को [[लू हवा|लू]] एवं गर्मी से बचाने की व्यवस्था करें।
*6. परजीवी से बचाव हेतु पशुओं में उपचार करायें।
*7. [[बांझपन]] की चिकित्सा करवायें तथा गर्भ परीक्षण करायें।
*8. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।
 
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*6. पशु दुहान के समय खाने को चारा डाल दें।
*7. पशुओं को खड़िया का सेवन करायें।
*8. [[कृत्रिम गर्भाधान]] अपनायें।
*9. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।
 
पंक्ति 88:
*4. बरसीम तथा जई अवश्य बोयें।
*5. लवण मिश्रण खिलायें।
*6. [[थनैला रोग]] होने पर उपचार करायें।
*7. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।
 
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* [[पशु सूक्ष्मजैविकी]]
* [[पशुप्रजनन|पशु प्रजनन]]
* [[लाला लाजपतरायलाजपत राय]] पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय
*
* [[चारा]]
* [[भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी]]
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* [https://web.archive.org/web/20141228122709/http://iivr.org.in/Publications/Pashupalan%20Margarshika.pdf पशुपालन मार्गदर्शिका] (भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान)
* [https://web.archive.org/web/20160818063947/http://hpagrisnet.gov.in/hpagris/Fisheries/Default.aspx?SiteID=3&PageID=1025 दुधारू पशुओं के प्रमुख रोग व उनका उपचार]
[https://kissanmadad.blogspot.com/2022/07/let-down-of-milk-in-cow-or-buffalo.html Let down of milk in cow or buffalo | गाय भैंस में दूध का उतरना]
 
[https://kissanmadad.blogspot.com/2022/07/the-amazing-benefits-of-mineral-mixture.html The Amazing Benefits of a Mineral Mixture for Cows and Buffaloes गायों और भैंसों के लिए खनिज मिश्रण के अद्भुत लाभ]
[https://kissanmadad.blogspot.com/2022/06/httpskissanmadad.blogspot.com.html Repeat breeding is a problem in dairy and beef cattle, as well as in water buffalo.]
[https://kissanmadad.blogspot.com/2022/06/retention-of-placenta-rop-gaay-mein-jer.html गाय में जेर समय से न डालने की समस्या भैंस की जेर का अटकना | retention of placenta ROP | gaay mein jer samay se na daalane kee samasya bhains jer ka atakana]
[[श्रेणी:प्राणी विज्ञान]]
[[श्रेणी:पशुपालन]]