भूमि के कणों का अपने मूल स्थान से हटने एवं दूसरे स्थान पर एकत्र होने की क्रिया को भू-क्षरण या मृदा अपरदन कहते हैं!
- आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में उपलब्ध कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग आधा क्षेत्रफल जल एवं वायु क्षरण से प्रभावित है !
- भू-क्षरण के कारण नदी, नालों व समुद्रों में रेत व मिट्टी जमा होने कारण वे उथली हो रही हैं जिसके फलस्वरूप बाढ एवं पर्यावरण की समस्या दिन प्रतिदिन बढती जा रही है!
- भू-क्षरण के फलस्वरूप भूमि की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादन क्षमता घट जाती है जो देश की अर्थ व्यवस्था कमजोर करती है!
यदि हम लोग अपने खेत में भू क्षरण होने देते है तो हमारा ही नहीं बल्कि सब लोगों का नुकसान होगा ।