महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) महाराष्ट्र में स्थापित एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल है। उद्धव ठाकरे के साथ मतभेद और चुनाव में टिकट वितरण जैसे प्रमुख निर्णयों में दरकिनार किये जाने के कारण से शिवसेना छोड़ देने के पश्चात, इसे ९ मार्च २००६ को मुम्बई में राज ठाकरे द्वारा स्थापित किया गया था।
नींव
संपादित करेंयह दल, शिव सेना नेता बाल ठाकरे के भतीजे, राज ठाकरे द्वारा स्थापित की गई थी। राज ठाकरे ने जनवरी 2006 में अपने चाचा की पार्टी से त्याग दे दिया और एक नई राजनीतिक पार्टी शुरू करने की अपने आकांक्षा कि घोषणा की। शिवसेना से अलग होने का कारण उन्होंने पार्टी को "छोटे बाबूओं" द्वारा चलाए जाने और परिणामस्वरूप पार्टी का "अपनी पूर्व गरिमा खो देना" बताया। इसके अलावा श्री ठाकरे का स्पष्ट उद्देश्य, राज्य के विकास सम्बंधित विषयों के लिए राजनीतिक जागरूकता का निर्माण और उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में एक केन्द्र स्थान देना था। उनके इस एजेण्डा को राज्य के युवा वर्ग से भारी समर्थन और सहानुभूति मिल रही है।[संदिग्ध ]
पार्टी निर्माण के समय, राज ठाकरे ने कहा कि वह अपने चाचा, “जो (उनके) परामर्शक थे, हैं और हमेशा रहेंगे", के साथ युद्धक स्थिति नहीं रखेंगे.
हालाँकि मनसे , सेना से निकला हुआ समूह है, परन्तु अब भी वह पार्टी की मराठी और "भूमिपुत्र" विचारधारा पर आधारित है। शिवाजी पार्क में पार्टी का अनावरण करते समाए एक सभा में उन्होंने कहा कि सभी यह देखने को बेचैन हैं कि हिन्दुत्व का क्या होगा। [1] अनावरण के समाए, उन्होंने यह भी कहा, "मैं विस्तार से "भूमि पुत्र" (Sons of soil) और मराठी, महाराष्ट्र के विकास के लिए अपना एजेण्डा और 19 मार्च कि सार्वजनिक बैठक में पार्टी ध्वज के रंगों के महत्व जैसे मुद्दों पर पार्टी के रुख पर प्रकाश डालूँगा."[2] मनसे को विधान सभा में 13 सीटें मिलीं। राज का जन्मदिन महाराष्ट्र के "भूमि पुत्र" दिवस के रूप में मनाया जाता है और राज इस उपाधि पर गर्व महसूस करते हैं। राज ठाकरे खुद को एक भारतीय राष्ट्रवादी (न की सिर्फ एक क्षेत्रीय) समझते हैं और दावा करते हैं कि कांग्रेस दोगली है।[3] . पार्टी, धर्मनिरपेक्षता को भी अपना एक मूल सिद्धांत मानती है।[4]
विवाद
संपादित करें2008 में उत्तर भारतीयों के विरुद्ध महाराष्ट्र में हिंसा
संपादित करेंफरवरी 2008 में, कुछ मनसे कार्यकर्ताओं ने मुम्बई में समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं के साथ टकराव किया, जब सपा समर्थक एक रैली में सम्मलित हुए जो शिवाजी पार्क, दादर और मुम्बई में की गई, जो मनसे के गढ़ हैं, जहाँ सपा नेता अबू असीम आजमी ने एक जोशीला भाषण दिया। टकराव के बाद, 73 मनसे कार्यकर्ताओं और 19 सपा कार्यकर्ताओं को मुम्बई पुलिसने हिंसा के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।[5]
6 फरवरी 2008, में कथित तौर पर, लगभग 200 कांग्रेस और NCP कार्यकर्ता पार्टी छोड़ कर मनसे के तथाकथित मराठी समर्थक अजेण्डे का समर्थन करने के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में शामिल हो गए।[6]
8 फरवरी को पटना सिविल न्यायालय में ठाकरे के विरुद्ध एक याचिका दायर की गई जो उनके बिहार और उत्तर प्रदेश के सबसे लोकप्रिय त्योहार छट पूजा पर टिप्पणी के विरोध में था।[7] श्री ठाकरे का कहना था कि वह छट पूजा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ लोगों द्वारा इस अवसर पर "अहंकार प्रदर्शन" और "छट पूजा के राजनितिकरण" के खिलाफ हैं।[8]
10 फरवरी 2008 को मनसे कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के विभिन्न भागों में उत्तर भारतीय दुकानदारों और विक्रेताओं पर हमला किया और राज ठाकरे की गिरफ्तारी के कथित अन्देशे के विरुद्ध अपना गुस्सा निकलने के लिए सरकारी सम्पत्ति नष्ट कर दी। [9] नासिक पुलिस ने 2 मनसे कार्यकर्ताओं को हिंसा के आधार पर हिरासत में ले लिया।
फरवरी 2008 में, भारत के अन्य भागों से मुम्बई में लोगों के अनियन्त्रित प्रवास के मुद्दे पर राज ठाकरे के भाषण ने एक बहुप्रचारित विवाद पैदा किया। महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था भारत में अन्य राज्यों से आगे हैं और इसकी राजधानी मुंबई उत्तर प्रदेश और बिहार के राज्यों से प्रवासी आबादी के लिए एक चुम्बक बन गई है। मनसे समर्थकों ने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं से टकराव किया जो उत्तर प्रदेश में मुसलामानों की क्षेत्रीय पार्टी हे, जिस की वजह से सड़कों पर हिंसा भड़की। ठाकरे ने राजनेता बने जाने माने फ़िल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन की भी आलोचना की जो उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हैं, कि वह अमर सिंह की वजह से UP और बिहार में व्यापार फैला रहे हैं। बच्चन को मुम्बई के फिल्म उद्योग-बॉलीवुड में प्रसिद्धि और समृधि मिली। [10][11]
8 सितम्बर 2008 में इनफ़ोसिस टेकनोलोजीस ने घोषणा की, कि 3,000 कर्मचारी पदों को पुणे से हटा दिया गया, जिस का कारण निर्माण कार्य में देरी था, जो उस वर्ष की शुरुआत में मनसे द्वारा उत्तर भारतीय निर्माण श्रमिकों पर हमले के कारण से हुई थी।[12]. 15 अक्टूबर 2008 को ठाकरे ने जेट एयरवेज को धमकी दी कि अगर उन्होंने परिवीक्षाधीन कर्मचारियों को काम पर वापस नहीं लिया, जिन्हें आर्थिक मन्दी के कारण से खर्च में कटौती के लिए निकाला गया था, तो वह महाराष्ट्र में उसकी कार्यवाही बन्द करवा देंगे। [13]
अक्टूबर 2008 में मनसे कार्यकर्ताओं ने उत्तर भारतीय उम्मीदवारों को पीटा जो भारतीय रेलवे बोर्ड में भर्ती होने की प्रवेश परीक्षा पश्चिमी क्षेत्र से मुम्बई में दे रहे थे।[14] रेल दुर्घटना में तीसरे वर्ग में एक बिहारी की मृत्यु हो गई जिसे हिन्दी मीडिया के समर्थन से एनसीपी/कांग्रेस ने सफलतापूर्वक दर्शाया के लड़के की मृत्यु आगामी दंगों के चलते हुई है।[15] मनसे के उत्तर भारतीयों और बिहारियों पर हो रहे हमले के बदले, भारतीय भोजपुरी संघ ने जमशेदपुर में टाटा मोटर्स के एक मराठी अधिकारी के आवास पर हमला कर दिया। भारतीय संसद में हंगामे के बाद और मनसे प्रमुख की गिरफ्तारी का दबाव नहीं होने के चर्चे के बावजूद, राज ठाकरे को अक्टूबर 21 के शुरुआती घण्टों में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें उसी दिन अदालत में पेश किया गया और रात जेल में बिताने के बाद वह अगले दिन वापस चले गए। हालाँकि गिरफ्तारी के बाद, मनसे कार्यकर्ताओं ने मुम्बई शहर के कुछ हिस्सों और पूरे क्षेत्र पर गुस्सा निकाला। गिरफ्तारी के परिणामस्वरुप प्रशंसा के साथ भय और मनसे पर प्रतिबन्ध लगाने कि बातें सामने आईं.[16][17][18] शिवसेना ने बहरहाल पूरे मामले पर एक ठण्डी प्रतिक्रिया रखी, हालाँकि पार्टी के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी ने कहा कि वह मनसे के इस आन्दोलन के समर्थन में हैं जो वह रेलवे बोर्ड की परीक्षा के लिए गैर-मराठी उम्मीदवारों के खिलाफ कर रहे हैं।
शिवसेना के साथ टकराव
संपादित करें10 अक्टूबर 2006 में शिवसेना और राज ठाकरे की नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के समर्थकों के बीच टकराव उभर आया। यह आरोप लगाया गया कि MNS के कार्यकर्ताओं ने मुंबई में SIES कॉलेज के पास शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की फोटो वाले पोस्टर फाड़े. इसके बाद प्रतिशोद में ये आरोप लगाया गया के शिवसेना कार्यकर्ताओं ने सेना भवन के पास दादर में राज ठाकरे की फोटो वाले होर्डिंग नीचे उतारे. जैसे ही इस घटना की खबर फैली लोगों के समूह शिवसेना भवन के सामने इकठ्ठा हुए और एक दुसरे पर पथराव शुरू कर दिया। इस घटना में एक सिपाही घायल हो गया और दोनों दलों के कई समर्थक भी घायल हुए. इस स्थिति को सामान्य करने के लिए पुलिस ने भीड़ पर आँसू गैस के गोले दागे् अन्ततः पुलिस कार्यवाही और मौके पर उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे की मौजूदगी से स्थिति काबू में आ गई। उद्धव ने सेना कार्यकर्ताओं से अपील की, कि वह घर चले जाएँ.[19] उन्होंने कहा:
"पुलिस आवश्यक कार्रवाई करेगी। यह इसलिए हो रहा है क्यों कि बहुत से लोग मनसे छोड़ कर हमारे साथ शामिल हो रहे हैं। दलबदल आरम्भ हो चुका है और यही कारण है कि वह ऐसे कारनामों का सहारा ले रहे हैं।"[19]
शिव सेना के विभाजन प्रमुख मिलिन्द वैध ने कहा कि उन्होंने घटना में शामिल एक MNS कार्यकर्ता के खिलाफ स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। MNS के महासचिव प्रवीण डारेकर ने बहरहाल इस का कारण SIES कॉलेज की स्थानीय निकायों के चुनावों पर डाल दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि शिव सेना को कॉलेजों पर अपनी पकड़ खोने का डर है और इसिलए वह इस मुद्दे को रंग दे रहे हैं, साथ ही यह भी कि शिव सेना के आरोप बेबुनियाद हैं। राज ठाकरे का दावा है कि मनसे तस्वीरें नहीं फाड़ सकता है, क्योंकि बाल ठाकरे का वह और उनके सदस्य बहुत आदर करते हैं।[20] उत्तर भारतीयों के विरुद्ध बाल ठाकरे द्वारा दिए गए टिप्पणियों पर कुछ सांसदों द्वारा नोटिस जारी करने पर मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि वह कभी यूपी और बिहार के किसी राजनेता को मुम्बई में नहीं आने देंगे अगर संसदीय समिति ने बाल ठाकरे के summon पर जोर दिया। इस पर विपरीत प्रतिक्रिया देते हुए बाल ठाकरे ने अपने भतीजे राज को "पीठ पर वार करने वाला" कहा और उनके अहसान से साफ मना कर दिया।
शिव शेना (SS) और एमएनएस कार्यकर्तायों ने छुट्टियों में नवरात्रि के पोस्टर जारी करने को लेकर ओशिवारा के आनन्द नगर में भी टकराव किया। SS पार्षद राजुल पटेल ने कहा के MNS कार्यकर्ताओं ने विशाल होर्डिंग्स लगाए और लोगों से उन्हें हटाने के लिए पैसे माँगने लगे। लोगों ने हम से शिकायत की और हमने आपत्ति जताई। इसकी वजह से हाथापाई हो गई। MNS विभाग प्रमुख मनीष धुरी ने बदले में कहा कि शिव सैनिक हमारी लोप्रियता से जलते हैं। रविवार दोपहर को शिव सैनिकों कि एक भीड़ उस जगह पर आई और वे हामारे द्वारा लगाए गए पोस्टर उतारने लगे। हमने इस पर आपत्ति जताई. दुर्भागयावाश, एक MNS कार्यकर्ता गम्भीर रूप से घायल हो गया।
=== अबू आज़मी को सबक 9 नवम्बर 2009 को समाजवादी पार्टी के नेता अबू आज़मी को सबक दि गई और MNS के विधायक द्वारा उन्हें हिन्दिमे में शपत लेने से रोका गया। और यह सही किय इस घटना के परिणामस्वरूप महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष ने इस मार पीट में शामिल MNS के 4 MLA को 4 साल के लिए निलम्बित कर दिया। जो बिल्कुल गलत था मुम्बई और नागपुर में विधान सभा बैठक के दौरान उनके प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई।[21] निलंबित विधायक थे राम कदम, रमेश वान्जले, शिशिर शिंदे और वसंत गीते.[22][23]
शक्ति में बढ़त
संपादित करेंअक्टूबर 2008 में, जेट एयरवेस ने लगभग 1000 कर्मचारियों कि छटनी कर दी। इन परिक्षणाधीन कर्मचारियों कि पुनःनियुक्ति के लिए उठे क्रोध के बाद बहुत से राजनितिक दलों ने इस मामले में कदम उठाए। पहले MNS और SS ने पहल की और उसके बाद कांग्रेस और भाजापा जैसे बड़े दल भी आगे आए। यहाँ तक कि भारतीय कोम्मुनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPI (M)) ने भी कोलकत्ता में छँटनी किये गए कर्मचारियों के समर्थन में रैली निकाली।
हटाए जाने के एक दिन बाद, कर्मचारी MNS कार्यालय में जमा हुए, इस के बावजूद के विमानन संघ आम तौर पर SS श्रमिक संघ, भारतीय कामगार सेना के काबू में होता है। इसके बाद MNS ने 300 पूर्व कर्मचारियों की मरोल स्थित जेट कार्यालय तक अग्वाही की। MNS के महासचिव नितिन सरदेसाई ने कहा," हमने आज जेट के अधिकारियों से मुलाक़ात की, जब बहुत से विमान कर्मचारी दल और MNS कार्यकर्ता बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। हमारी बात चीत के दौरान जेट के अध्यक्ष नरेश गोयल ने राज ठाकरे से फोन पर बात किया। उन्होंने हमें विरोध प्रदर्शन खत्म करने का अनुरोध किया और कुछ ही दिनों में राज साहब से मुलाक़ात करने की पेशकश की. हमारा एकमात्र ऐजेण्डा यही था के जिन लोगों कि छँटनी की गई है उन्हें वापस लिया जाना चाहिए।"
दो दिनों में मनसे कि भाग दौड़ और सहायता कि बदौलत कर्मचारियों को फिर से काम पर रख लिया गया। मीडिया ने व्यापक रूप में राज को खेल का विजेता घोषित किया और ये भी कहा के शिव सेना कि विरासत में चली आ रही आक्रामक सड़कों कि राजनीति पर उनका कब्जा होता हुआ नजर आ रहा है। यह मनसे के नवगठित व्यापार संघ, महाराष्ट्र नवनिर्माण कामगर सेना के लिए एक बड़ा बढ़ावा था जो उड्डयन, होटल और मनोरंजन के क्षेत्रों में शिव सेना के प्रभाव को कम करने कि कोशिश में था।
निर्वाचित प्रतिनिधि
संपादित करें2006 में पार्टी के निर्माण से लेकर अब तक, 4 नगर निगमो में मनसे के प्रतिनिधि चुने गए हैं।
नगर निगम | निर्वाचित |
---|---|
पुणे नगर निगम | 8 |
नासिक नगर निगम | 12 |
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) | 7 |
ठाणे नगर निगम | 3 |
'' ''[24]
|
मनसे ने 2009 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 13 विधानसभा सीटें जीती। इन में मुम्बई में 6, ठाणे में 2, 3 नासिक में, पुणे में 1, कन्नड़ (औरंगाबाद) में 1 और 24 से अधिक स्थानों पर दुसरे स्थान पर रही।
राजनीतिक आलोचना
संपादित करेंमुम्बई में रेलवे भरती बोर्ड कि परीक्षा देने आए उत्तर भारतीयों पर किये गए हमले के लिए बहुत से नेताओं ने खास कर सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) कि केन्द्र सरकार ने सख्त तौर पर राज ठाकरे और मनसे की आलोचना की।
UPA के तीन मन्त्रियों ने कड़ी कार्यवाही करने कि माँग की, साथ ही पार्टी के विरुद्ध प्रतिबन्ध लगाने की भी माँग की। रेलवे मंत्री लालू प्रसाद यादव ने मनसे पर प्रतिबन्ध लगाने कि माँग कि और कहा के उसका अध्यक्ष "मानसिक रोगी" हैं। इस्पात मंत्री राम विलास पासवान ने कहा के वह अगले मन्त्री मण्डल कि बैठक में इस मुद्दे को उठाएँगे और उन्होंने आश्चर्य प्रकट किया कि हिंसक घटनाओं के बावजूद, मनसे के खिलाफ कोई कारवाही नहीं कि जा रही है। उन्होंने कहा: "मैं सख्त तौर पर घटना कि निन्दा करता हूँ. पार्टी के विरुद्ध मजबूत कदम उठाए जाने चाहिए... MNS पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए। ठाकरे परिवार महाराष्ट्र के लिए एक स्थाई समस्या बन गया है और विशेष रूप से राज ठाकरे एक मानसिक रोगी बन गए हैं।" खाद प्रंस्करण उद्योग मन्त्री और कांग्रेस नेता सुबोध कान्त सहाए ने माँग की, कि महाराष्ट्र में कांग्रेस-मनसे गठबन्धन सरकार को हमले के लिए जिम्मेदार लोगों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि महारष्ट्र के मुख्यमन्त्री विलास राव देशमुख से उन्होंने बात कि है और राज्य में चल रहे गुण्डागर्दी पर भी सवाल किया है। "जहाँ तक सरकार कि आज तक की कारवाही का सवाल है, वह अब तक उनपर नरम रही है। उन्हें कार्यवाही करनी चाहिए कियोंकि अब हद से ज्यादा हो चुका हे. वह कार्यकर्ता नहीं हैं। वह लुटेरे हैं। मनसे, बजरंग दल, विहिप और आर एस एस जैसे संगठनों पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाना चाहिए।[25]
इस घटना के बाद, कार्यकाल के पहले दिन ही राष्ट्रीय संसद में बहुत हंगामे हुए। संसद के कई सदस्यों ने हमले की निन्दा की। उन्होंने परोक्ष रूप से लालू प्रसाद यादव कि भी निन्दा कि, यह कहते हुए कि उन्होंने भी अपने क्षेत्र में बिहारियों की अधिकतम भरती की और उन लोगों कि नहीं जो उन शहरों के थे जहाँ भरती परीक्षा आयोजित कि गई थी, जिसने मनसे की घटना को और बढ़ावा दिया. इस मुद्दे पर पहले बोलते हुए, राजद नेता देवेन्द्र प्रसाद यादव ने केन्द्र सरकार से राज्य मे अनुछेद 355 के तहत कार्यवाही करने की माँग की। उन्होंने कहा कि हमलों के बावजूद, महाराष्ट्र के मुख्यमन्त्री इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। साथ ही कहा कि ऐसी घटनाएँ देश की एकता और अखण्डता को खतरा है। अन्य सांसदों ने भी हमलों की वजह से अनुच्छेद 355 लागू करने की माँग की. BJP के शाहनवाज हुसैन ने भी यह माँग की पुछते हुए कि अगर बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों को देश के अन्य भागों में यात्रा करने के लिए क्या किसी अनुमति की आवश्यकता होगी. CPI(M) के मोहम्मद सलीम ने कहा कि इस तरह की घटनाएँ देश की अखण्डता पर खतरा हैं और इससे देश के बाकी हिस्सों को गलत संकेत पहुँचती है। शिवसेना के अनन्त गीते ने बहरहाल महाराष्ट्र में 42 लाख शिक्षित बेरोजगार युवाओं की बात रखते हुए कहानी के दूसरे पहलु को सामने रखने की कोशिश की।[26] CPI(M) ने हमले कि कड़ी निन्दा कि और इसे संविधान पर स्पष्ट हमला बताया और फौरन पार्टी प्रमुख राज ठाकरे के गिरफ्तारी कि माँग कि, साथ ही यह भी कहा के विभाजनकारी ताकतों को अगर किसी भी तरह की ढील दी गई, तो उसके बहुत दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। CPI(M) पौलिटबिऊरो ने कहा के संविधान पर हमले, महाराष्ट्र सरकार के ऊपर कलंक हैं, जिस कि ज़िम्मेदारी है रक्षा करना और अपराध करने वालों के खिलाफ सख्त कारवाही करना. "और वह इस में नाकाम रही है, जिस तरह उसने गैरज़िम्मेदार नेताओं को ढील दी है, यह कांग्रेस और उसकी गठबन्धित साथियों का राजनितिक दिवालियापन दर्शाती है।" "भारतीय कोम्मुनिस्ट पार्टी (CPI) ने भी कहा के ऐसे हमले नहीं सहे जाएँगे, और ठाकरे तथा उनके समर्थकों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए." महाराष्ट्र के मुख्यमन्त्री विलास राव देशमुख ने कहा कि उनकी सरकार हमलों को रोकने में असफलता कि पूरी ज़िम्मेदारी लेती हे और इस घटना कि जाँच के आदेश दिए जाएँगे साथ ही इस बात का भी पता लगाया जाएगा कि नौकरी के विज्ञापन मराठी अखबारों में कियों नहीं दिए गए। उन्होंने कहा: "जो हुआ अच्छा नहीं हुआ। इस तरह की घटनाएँ कानून में खामियों की वजह से होती हैं। सिर्फ गृह मन्त्रालय को उत्तरदायी नहीं माना जा सकता बल्कि यह (पूरे) सरकार का उत्तरदायित्व है। ऐसी घटनाएँ राज्य की छवि को प्रभावित कर रही हैं और मैंने पुलिस महानिर्देशक को कड़ी कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।" राज ठाकरे के आरोप पर, कि नौकरी के विज्ञापन स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित न करके मराठी उम्मीदवारों को बाहर रखा गया है, इसपर उन्होंने कहा कि, "एक जाँच भी करवाई जाएगी, कि मराठी समाचारपत्रों में परीक्षा के विज्ञापन कियों नही दिए गए और और परीक्षा में कितने मराठी उम्मीदवार बुलाए गए।" उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस तरह की बर्बरतापूर्ण घटनाएँ भविष्य में नहीं होंगी।
जनवरी 2009 में कलाकार प्रणव प्रकाश ने दिल्ली में अपनी चित्र शृंखला "चल हट बिहारी" का प्रदर्शन किया। 2008 में महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों पर किये गए हमले, xenophobia कि एक कंसर्ट में पॉप शैली में दिखे।[27]
राजनीतिक समर्थन
संपादित करेंMNS को मुम्बई में स्थानीय मराठी भाषी, डोंगरी और उमरखादी क्षेत्रों के मुस्लिम समुदाय से समर्थन मिला है।[28] मराठी सिनेमा जगत के कई अभिनेता जैसे नाना पाटेकर, अशोक सराफ, प्रशांत दामले, कुलदीप पवार और मोहन जोशी,MNS द्वारा प्रस्तुत किये गए "भूमि पुत्र' के सिद्धांत के समर्थन में बाहर आए। [29] झारखंड दिसोम पार्टी ने भी महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के खिलाफ नवनिर्माण सेना के आन्दोलन का समर्थन किया।[30]
अन्य गतिविधियां
संपादित करेंमनसे मराठी साहित्य को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों का आयोजन करता है।[31] मनसे युवाओं के लिए खुदरा उद्योग में काम करने के प्रशिक्षण कार्यशाला भी आयोजित करता है, जो उसकी बाल संगठन नवनिर्माण अकादमी ऑफ़ रेतील इनदसतत्रिज के तहत है। छात्र इकाई, महाराष्ट्र नवनिर्माण विद्यार्थी सेना, कॉलेज के युवाओं की बड़े संख्या के साथ उभर रहा संगठन है। यह एकमात्र छात्र संगठन है जहाँ लड़कियों की अलग से, सांस्कृतिक और खेल शाखा है। यह वकील राजन शिरोडकर के बेटे, आदित्य शिरोडकर के नेतृत्व में है।[32] मनसे रक्तदान शिविरों का भी आयोजन करता है।[33]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ प. 1048 भारतीये राजनितिक पार्टियाँ वार्षिक, महेंद्र गौर द्वारा,2006 .
- ↑ राज ठाकरे Archived 2012-10-10 at the वेबैक मशीन ने नइ पार्टी का गठन किया Updated: प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया, गुरुवार, 09 मार्च 1914 घंटों से कम 2006 IST
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in first (मदद) - ↑ "Politicians forge ties with youth". दि इकॉनोमिक टाइम्स. NASSCOM. September 13, 2008. मूल से 27 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-12-22.
- ↑ "MNS supporters celebrate Raj Thackeray's birthday". DNA India. June 14, 2008. मूल से 27 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-12-22.