सिलाव, नालंदा

(सिलाव से अनुप्रेषित)

सिलाव (Silao) भारत के बिहार राज्य के नालंदा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह स्थानीय हलवाईयों द्वारा बनाए जाने वाले खाजा के लिये प्रसिद्ध है। सिलाव का खाजा बिहार का अंतरष्ट्रीय मिठाई हैं।[1][2]

सिलाव
Silao
सिलाव का खाजा
सिलाव का खाजा
सिलाव is located in बिहार
सिलाव
सिलाव
बिहार में स्थिति
निर्देशांक: 25°04′52″N 85°25′41″E / 25.081°N 85.428°E / 25.081; 85.428निर्देशांक: 25°04′52″N 85°25′41″E / 25.081°N 85.428°E / 25.081; 85.428
देश भारत
प्रान्तबिहार
ज़िलानालंदा ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल25,674
भाषा
 • प्रचलितहिन्दी, मगही

बिहार के नालंदा (Nalanda) जिले की मशहूर मिठाई- सिलाव का खाजा (Silao Khaja) अब प्रदेश से निकलकर देश-दुनिया का मुंह मीठा करा रही है. शादी या अन्य मांगलिक कार्यों में इस्तेमाल होने वाली इस मिठाई की लोकप्रियता को देखते हुए यह अब ऑनलाइन भी उपलब्ध है. जी हां, नालंदा के सिलाव का खाजा अब सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि देश के कई शहरों और यहां तक कि विदेशों में भी पहुंचने लगा है. सिलाव में खाजा बनाने के कारोबार से जुड़े काली शाह की दुकान (Khaja Shop) के संचालकों की मानें तो पिछले हफ्ते से ही खाजा की ऑनलाइन (Khaja on Online) सप्लाई शुरू की गई है. अगले कुछ दिनों में यह सॉफ्टवेयर पूरी तरह से काम करना शुरू कर देगा, जिसके बाद देश-दुनिया में कहीं से भी सिलावा का खाजा मंगवाया जा सकेगा

सिलाव के पास ही नालंदा है, जहां हमेशा देश-विदेश के पर्यटक आते रहते हैं. इसलिए न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों में भी सिलाव के खाजा की पहुंच बनी हुई है. इसकी लोकप्रियता को देखते हुए ही वर्ष 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खाजा निर्माण को उद्योग का दर्जा दिया था. साथ ही इस उद्योग को सरकार की क्लस्टर विकास योजना से भी जोड़ा गया था. कुछ वर्षों के बाद भारत सरकार ने सिलाव के खाजा को जीआई टैग ज्योग्राफिकल इंडेक्शन टैग (Geographical Indication Tag) भी दे दिया, जिससे इस उद्योग से जुड़े कारोबारियों के लिए कारोबार और आसान हो गया.

खाजा का स्वाद ऐसा है, कि एक बार खा लें तो बार-बार खाने का मन करता है। स्वादिष्ट मिठाई के रूप में मशहूर खाजा देश ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध है। खाजा मिठाई को जीआई टैग भी मिला है। इस कारोबार से करीब छह हजार लोग जुड़े हैं। कई कारोबारी तो बदलते समय के साथ ऑनलाइन मार्केटिंग भी करने लगे हैं।

सिलाव में बनने वाली खाजा मिठाई की चार वेराइटी है। बारिश के दो माह सावन और भादो को छोड़ दें तो यह मिठाई करीब एक महीने तक खराब नहीं होती है। पांच वेराइटी का खाजा सिलाव में बनता है। मीठा खाजा, नमकीन खाजा, देसी घी वाला, सादा खाजा और खोवा वाला खाज़ा

सिलाव खाजा बिहार की पहली मिठाई है, जिसे भारत सरकार से जीआई (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) टैग मिला है।

अंतरराष्ट्रीय मिठाई का भी मिला अवार्ड

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कारोबारी संजीव कुमार बताते हैं कि 1987 में मॉरीशस में हुए अंतरराष्ट्रीय मिठाई महोत्सव में सिलाव के खाजा को अंतरराष्ट्रीय मिठाई का अवार्ड मिल चुका है। इसके अलावा दिल्ली, जयपुर, इलाहाबाद, पटना में लगी प्रदर्शनियों में भी खाजा को स्वादिष्ठ मिठाई का पुरस्कार मिला है।


खाजा का वास्तविक अर्थ “खूब खा” और “जा” है जिसकी उत्पत्ति का इतिहास काफी पुराना है. बिहार की यह पारंपरिक मिठाई इस क्षेत्र की विशिष्टता को दर्शाने में अहम भूमिका निभाती हैं. सिलाव खाजा (Silao Khaja) अपने स्वाद, कुरकुरापन और बहुस्तरीय उपस्थिति के लिए पुरे विश्व में जाना जाता है.


बिहार के इतिहास का अध्ययन करने से पता चलता है कि सिलाव खाजा (Silao Khaja) बुद्ध काल में शुरू हुआ था, जो अभी भी जारी है, सिलाव खाजा अद्भुत कला का प्रदर्शन करता है जो इसे सभी मिठाइयों से अलग बनाता है.ऐसा माना जाता है कि काली शाह के परिवार ने खाजा की परंपरा को बरकरार रखा, आज भी इस परिवार के लोग खाजा के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. काली शाह के नाम से कई खाजा दुकानें हैं, जो काली शाह के रिश्तेदार हैं.


बिहार के सिलाव के कई परतों वाले किस खाद्य पदार्थ को भौगोलिक संकेत टैग दिया गया है


बिहार के सिलाव के कई परतों वाले खाद्य पदार्थ खाजा को भौगोलिक संकेत टैग दिया गया है. बिहार स्थित राजगीर और नालंदा के बीच स्थित सिलाव नामक स्थान है. इस स्थान पर खाजा की मिठाई बेहद प्रसिद्ध है इसलिए इस मिठाई को सिलाव खाजा के नाम से जाना जाता है. बिहार में मिलने वाले मिष्ठान सिलाव खाजा को हाल ही में भौगोलिक संकेत (GI) दिया गया है. माना जाता है कि सिलाव खाजा की शुरुआत उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिले तथा बिहार के पश्चिमी जिलों से हुई. इसका निर्माण गेहूं के आटे, मैदा, चीनी तथा इलायची इत्यादि से किया जाता है. वर्तमान में यह व्यंजन बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल तथा आंध्र प्रदेश इत्यादि में काफी लोकप्रिय है. इससे पहले बिहार की शाही लीची को भी जीआई टैग प्रदान किया गया था. जीआई टैग अथवा भौगोलिक चिन्ह किसी भी उत्पाद के लिए एक चिन्ह होता है जो उसकी विशेष भौगोलिक उत्पत्ति, विशेष गुणवत्ता और पहचान के लिए दिया जाता है और यह सिर्फ उसकी उत्पत्ति के आधार पर होता है. ऐसा नाम उस उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी विशेषता को दर्शाता है.



इन्हें भी देखें

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  1. "Bihar Tourism: Retrospect and Prospect," Udai Prakash Sinha and Swargesh Kumar, Concept Publishing Company, 2012, ISBN 9788180697999
  2. "Revenue Administration in India: A Case Study of Bihar," G. P. Singh, Mittal Publications, 1993, ISBN 9788170993810