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"जालौर": अवतरणों में अंतर

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'''जालौर''' [[राजस्थान]] राज्य का एक ऐतिहासिक शहर है।यह राजस्थान की '''<u>सुवर्ण नगरी</u>''' और '''<u>ग्रेनाइट सिटी</u>''' से प्रसिद्ध है। यह शहर प्राचीनकाल में 'जाबालिपुर' के नाम से जाना जाता था। [[जालौर जिला]] मुख्यालय यहाँ स्थित है। [[लूणी नदी|लूनी नदी]] की उपनदी सुकरी के दक्षिण में स्थित जालौर राजस्थान का ऐतिहासिक जिला है। पहले बहुत बड़ी रियासतों मे एक थी। जालौर रियासत, चित्तौड़गढ़ रियासत के बाद मे अपना स्थान रखती थी। पश्चिमी राजस्थान ( राजपुताना ) मे प्रमुख रियासत थी।
'''जालौर''' [[राजस्थान]] राज्य का एक ऐतिहासिक शहर है।यह राजस्थान की '''<u>सुवर्ण नगरी</u>''' और '''<u>ग्रेनाइट सिटी</u>''' से प्रसिद्ध है। यह शहर प्राचीनकाल में 'जाबालिपुर' के नाम से जाना जाता था। [[जालौर जिला]] मुख्यालय यहाँ स्थित है। [[लूणी नदी|लूनी नदी]] की उपनदी सुकरी के दक्षिण में स्थित जालौर राजस्थान का ऐतिहासिक जिला है। पहले बहुत बड़ी रियासतों मे एक थी। जालौर रियासत, चित्तौड़गढ़ रियासत के बाद मे अपना स्थान रखती थी। पश्चिमी राजस्थान मे प्रमुख रियासत थी। सन् 1100 के आस पास तक जालोर मे भील राजाओं का शासन था <ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=gmffEAAAQBAJ&pg=PA45&dq=Bhil+Chakrasen&hl=hi&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&sa=X&ved=2ahUKEwiBsM3FoM6EAxUa1jgGHTubDzk4KBDoAXoECAMQAw#v=onepage&q=Bhil%20Chakrasen&f=false|title=Aadikalin Meena Itihaas|last=Jaunwal|first=Govind Singh|date=2023-10-27|publisher=Booksclinic Publishing|isbn=978-93-5823-762-7|language=hi}}</ref>


== इतिहास ==
== इतिहास ==
प्राचीन काल में जालोर को जाबालीपुर के नाम से जाना जाता था - जिसका नाम हिंदू संत [[जबाली]](एक विद्वान ब्राह्मण पुजारी और राजा [[दशरथ]] के सलाहकार) के नाम पर रखा गया।<ref>{{Cite web|url=https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/pali/jalore/news/maharishi-jabali-was-worshiped-on-rishi-panchami-in-jalore-city-127651927.html|title=धर्म-आस्था: जालोर शहर में ऋषि पंचमी पर महर्षि जाबालि का किया पूजन|date=2020-08-26|website=Dainik Bhaskar|language=hi|access-date=2021-01-14}}</ref> शहर को सुवर्णगिरी या सोंगिर, गोल्डन माउंट के नाम से भी जाना जाता था, जिस पर किला खड़ा है। यह 8 वीं शताब्दी में एक समृद्ध शहर था, और, कुछ ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, 8 वीं -9 वीं शताब्दी में, प्रतिहार की एक शाखा साम्राज्य ने जबलीपुर (जालौर) पर शासन किया।<ref>{{Cite book|title=Rajasthana KI Murtikala Parampara: 800 Isvi Se 1000 Isvi|last=Vasishtha|first=Nilima|publisher=|year=|isbn=9788171373604|location=|pages=Pg 6}}</ref>
प्राचीन काल में जालोर को 'जाबालिपुर' के नाम से जाना जाता था - जो [[जाबालि]] नाम पर रखा गया था।<ref>[http://www.socialresearchfoundation.com/new/publish-journal.php?editID=2660 जालौर इतिहास के तथ्यः पुनर्लेखन और पड़ताल]</ref><ref>{{Cite web|url=https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/pali/jalore/news/maharishi-jabali-was-worshiped-on-rishi-panchami-in-jalore-city-127651927.html|title=धर्म-आस्था: जालोर शहर में ऋषि पंचमी पर महर्षि जाबालि का किया पूजन|date=2020-08-26|website=Dainik Bhaskar|language=hi|access-date=2021-01-14}}</ref> शहर को सुवर्णगिरी या सोंगिर, गोल्डन माउंट के नाम से भी जाना जाता था, जिस पर किला खड़ा है। यह 8 वीं शताब्दी में एक समृद्ध शहर था, और, कुछ ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, 8 वीं -9 वीं शताब्दी में, प्रतिहार की एक शाखा साम्राज्य ने जबलीपुर (जालौर) पर शासन किया।<ref>{{Cite book|title=Rajasthana KI Murtikala Parampara: 800 Isvi Se 1000 Isvi|last=Vasishtha|first=Nilima|publisher=|year=|isbn=9788171373604|location=|pages=Pg 6}}</ref>
राजा मान प्रतिहार जालोर में [[भीनमाल]] शासन कर रहे थे जब [[परमार]] सम्राट [[वाक्पति मुंज]] (९-२- ९९ ० ९ ०) ने इस क्षेत्र पर आक्रमण किया - इस विजय के बाद इन विजित प्रदेशों को अपने परमार राजकुमारों में विभाजित किया - उनके पुत्र अरण्यराज परमार को अबू क्षेत्र, उनके पुत्र और उनके भतीजे चंदन परमार को, धारनिवराह परमार को जालोर क्षेत्र दिया गया। इससे भीनमाल पर प्रतिहार शासन लगभग 250 वर्ष का हो गया। <ref> राव गणपतसिंह चितलवाना, भीनमाल का संस्कृत वैभव, पृ। ४६- ४ ९ </ref>
राजा मान प्रतिहार जालोर में [[भीनमाल]] शासन कर रहे थे जब [[परमार]] सम्राट [[वाक्पति मुंज]] (९-२- ९९ ० ९ ०) ने इस क्षेत्र पर आक्रमण किया - इस विजय के बाद इन विजित प्रदेशों को अपने परमार राजकुमारों में विभाजित किया - उनके पुत्र अरण्यराज परमार को अबू क्षेत्र, उनके पुत्र और उनके भतीजे चंदन परमार को, धारनिवराह परमार को जालोर क्षेत्र दिया गया। इससे भीनमाल पर प्रतिहार शासन लगभग 250 वर्ष का हो गया। <ref> राव गणपतसिंह चितलवाना, भीनमाल का संस्कृत वैभव, पृ। ४६- ४ ९ </ref>
राजा मान प्रतिहार का पुत्र देवलसिंह प्रतिहार अबू के राजा महिपाल परमार (1000-1014 ईस्वी) का समकालीन था। राजा देवलसिम्हा ने अपने देश को मुक्त करने के लिए या भीनमाल पर प्रतिहार पकड़ को फिर से स्थापित करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन व्यर्थ में। वह चार पहाड़ियों - डोडासा, नदवाना, काला-पहाड और सुंधा से युक्त, भीनमाल के दक्षिण पश्चिम में प्रदेशों के लिए बस गए। उन्होंने लोहियाना (वर्तमान [[जसवंतपुरा]]) को अपनी राजधानी बनाया। इसलिए यह उपकुल देवल प्रतिहार बन गया। <ref> राव गणपतसिंह चितलवाना, भीनमाल का संस्कृत वैभव, पृ। 49 </ref> धीरे-धीरे उनके जागीर में आधुनिक जालोर जिले और उसके आसपास के 52 गाँव शामिल थे। देवल ने जालोर के चौहान कान्हाददेव के अलाउद्दीन खिलजी के प्रतिरोध में भाग लिया। लोहियाणा के ठाकुर धवलसिंह देवल ने महाराणा प्रताप को जनशक्ति की आपूर्ति की और उनकी बेटी की शादी महाराणा से की, बदले में महाराणा ने उन्हें "राणा" की उपाधि दी, जो इस दिन तक उनके साथ रहे। <ref> राव गणपतसिंह चितलवाना, भीनमाल का संस्कृत वैभव, पृ। । 50- 53 </ref>
राजा मान प्रतिहार का पुत्र देवलसिंह प्रतिहार अबू के राजा महिपाल परमार (1000-1014 ईस्वी) का समकालीन था। राजा देवलसिम्हा ने अपने देश को मुक्त करने के लिए या भीनमाल पर प्रतिहार पकड़ को फिर से स्थापित करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन व्यर्थ में। वह चार पहाड़ियों - डोडासा, नदवाना, काला-पहाड और सुंधा से युक्त, भीनमाल के दक्षिण पश्चिम में प्रदेशों के लिए बस गए। उन्होंने लोहियाना (वर्तमान [[जसवंतपुरा]]) को अपनी राजधानी बनाया। इसलिए यह उपकुल देवल प्रतिहार बन गया। <ref> राव गणपतसिंह चितलवाना, भीनमाल का संस्कृत वैभव, पृ। 49 </ref> धीरे-धीरे उनके जागीर में आधुनिक जालोर जिले और उसके आसपास के 52 गाँव शामिल थे। देवल ने जालोर के चौहान कान्हाददेव के अलाउद्दीन खिलजी के प्रतिरोध में भाग लिया। लोहियाणा के ठाकुर धवलसिंह देवल ने महाराणा प्रताप को जनशक्ति की आपूर्ति की और उनकी बेटी की शादी महाराणा से की, बदले में महाराणा ने उन्हें "राणा" की उपाधि दी, जो इस दिन तक उनके साथ रहे। <ref> राव गणपतसिंह चितलवाना, भीनमाल का संस्कृत वैभव, पृ। । 50- 53 </ref>


10 वीं शताब्दी में, जालोर पर [[परमार वंश | परमारस]] का शासन था। 1181 में, [[कीर्तिपाला]], [[अल्हणदेव | अल्हाना]] के सबसे छोटे बेटे, [[नादुला के चहमानस] [शासक]] [[नाडोल]] के शासक, [[परमारा वंश]] से जालौर पर कब्जा कर लिया। और जालौर की चौहानों की चौहानों की जालोर लाइन की स्थापना की। उनके बेटे [[समरसिम्हा]] ने उन्हें 1182 में सफलता दिलाई। समरसिम्हा को [[उदयसिम्हा]] ने सफल बनाया, जिन्होंने तुर्क से नाडोल और मंडोर पर कब्जा करके राज्य का विस्तार किया। उदयसिंह के शासनकाल के दौरान, जालोर [[दिल्ली सल्तनत]] की एक सहायक नदी थी। <ref> {{Cite book। Title = The Chahamanas of Jalore | पहली = अशोक कुमार | अंतिम = श्रीवास्तव | प्रकाशक = साहित्य संस्कार प्रकाशन। तिथि = 1979 = 1979 = तिथि। | पृष्ठ = 14–24}} </ref> उदयसिंह [[चचिगदेव]] और [[सामंतसिम्हा]] द्वारा सफल हुआ था। सामन्तसिंह को उनके पुत्र [[कान्हड़देव]] ने उत्तराधिकारी बनाया।
10 वीं शताब्दी में, जालोर पर [[परमार वंश | परमारों]] का शासन था। 1181 में [[अल्हणदेव | अल्हाना]] के सबसे छोटे बेटे , [[कीर्तिपाला]] जालौर पर कब्जा कर लिया। और जालौर की चौहानों की चौहानों की जालोर लाइन की स्थापना की। उनके बेटे [[समरसिम्हा]] ने उन्हें 1182 में सफलता दिलाई। समरसिम्हा को [[उदयसिम्हा]] ने सफल बनाया, जिन्होंने तुर्क से नाडोल और मंडोर पर कब्जा करके राज्य का विस्तार किया। उदयसिंह के शासनकाल के दौरान, जालोर [[दिल्ली सल्तनत]] की एक सहायक नदी थी। <ref> {{Cite book। Title = The Chahamanas of Jalore | पहली = अशोक कुमार | अंतिम = श्रीवास्तव | प्रकाशक = साहित्य संस्कार प्रकाशन। तिथि = 1979 = 1979 = तिथि। | पृष्ठ = 14–24}} </ref> उदयसिंह [[चचिगदेव]] और [[सामंतसिम्हा]] द्वारा सफल हुआ था। सामन्तसिंह को उनके पुत्र [[कान्हड़देव]] ने उत्तराधिकारी बनाया।


विरम और फिरोजा के संबंध में कहा जाता है कि बादशाह राजा
विरम और फिरोजा के संबंध में कहा जाता है कि बादशाह राजा विरम को "पन्नू पहलवान" के साथ "वेनिटी" के खेल के लिए आमंत्रित किया। पराजित करने के बाद पहलवान राजकुमारी फिरोजा को विरम से प्यार हो गया और उसने इसका प्रस्ताव भेजा
विरम को "पन्नू पहलवान" के साथ "वेनिटी" के खेल के लिए आमंत्रित किया। पराजित करने के बाद
पहलवान राजकुमारी फिरोजा को विरम से प्यार हो गया और उसने इसका प्रस्ताव भेजा
विवाह, जिसे वीरम ने अस्वीकार कर दिया। इस बादशाह राजा से नाराज होकर
विवाह, जिसे वीरम ने अस्वीकार कर दिया। इस बादशाह राजा से नाराज होकर
अपने सैनिकों के साथ पूरे जालौर को घेर लिया।
अपने सैनिकों के साथ पूरे जालौर को घेर लिया।
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धर्म और गौरव बहादुर महिलाओं ने बचाने के लिए खुद को आग में डाल लिया है
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जालोर में कुल आबादी 18,30,151 हैं| 9,36,634 पुरुष और 8,92,096 महिलाएं है <ref name=":0" />
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'''लिंगानुपात''' - 951, '''जनसंख्या घनत्व -''' 172 व्यक्ती प्रति वर्ग किलोमीटर
'''लिंगानुपात''' - 951, '''जनसंख्या घनत्व -''' 172 व्यक्ती प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल -10640 वर्ग किलोमीटर

2024 में जालोर की अनुमानित जनसंख्या 2,340,000 है |<ref>{{Cite web|url=https://www.census2011.co.in/census/district/441-jalor.html|title=Jalor (Jalore) District Population Census 2011 - 2021 - 2024, Rajasthan literacy sex ratio and density|website=www.census2011.co.in|access-date=2024-09-25}}</ref>


== सन्दर्भ ==
== सन्दर्भ ==
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== यह भी देखेँ ==
== यह भी देखेँ ==
* [[भीनमाल]]
* [[भीनमाल]]
* [[नीलकंठ]]
* [[नीलकंठ]]
* [[सांचौर]]


[[श्रेणी:राजस्थान के शहर]]
[[श्रेणी:राजस्थान के शहर]]

16:27, 25 सितंबर 2024 के समय का अवतरण

जालौर
ग्रेनाइट सिटी
—  शहर  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य राजस्थान
विधायक जोगेश्वर गर्ग (भाजपा)
नगर पालिका अध्यक्ष सवाई सिंह
सांसद देवजी पटेल
जनसंख्या
घनत्व
18,30,151 (2011 के अनुसार )
• 172/किमी2 (445/मील2)
लिंगानुपात 951 /
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)

• 178 मीटर (584 फी॰)
आधिकारिक जालस्थल: jalore.rajasthan.gov.in

निर्देशांक: 25°21′N 72°37′E / 25.35°N 72.62°E / 25.35; 72.62

जालौर राजस्थान राज्य का एक ऐतिहासिक शहर है।यह राजस्थान की सुवर्ण नगरी और ग्रेनाइट सिटी से प्रसिद्ध है। यह शहर प्राचीनकाल में 'जाबालिपुर' के नाम से जाना जाता था। जालौर जिला मुख्यालय यहाँ स्थित है। लूनी नदी की उपनदी सुकरी के दक्षिण में स्थित जालौर राजस्थान का ऐतिहासिक जिला है। पहले बहुत बड़ी रियासतों मे एक थी। जालौर रियासत, चित्तौड़गढ़ रियासत के बाद मे अपना स्थान रखती थी। पश्चिमी राजस्थान मे प्रमुख रियासत थी। सन् 1100 के आस पास तक जालोर मे भील राजाओं का शासन था [1]

प्राचीन काल में जालोर को 'जाबालिपुर' के नाम से जाना जाता था - जो जाबालि नाम पर रखा गया था।[2][3] शहर को सुवर्णगिरी या सोंगिर, गोल्डन माउंट के नाम से भी जाना जाता था, जिस पर किला खड़ा है। यह 8 वीं शताब्दी में एक समृद्ध शहर था, और, कुछ ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, 8 वीं -9 वीं शताब्दी में, प्रतिहार की एक शाखा साम्राज्य ने जबलीपुर (जालौर) पर शासन किया।[4] राजा मान प्रतिहार जालोर में भीनमाल शासन कर रहे थे जब परमार सम्राट वाक्पति मुंज (९-२- ९९ ० ९ ०) ने इस क्षेत्र पर आक्रमण किया - इस विजय के बाद इन विजित प्रदेशों को अपने परमार राजकुमारों में विभाजित किया - उनके पुत्र अरण्यराज परमार को अबू क्षेत्र, उनके पुत्र और उनके भतीजे चंदन परमार को, धारनिवराह परमार को जालोर क्षेत्र दिया गया। इससे भीनमाल पर प्रतिहार शासन लगभग 250 वर्ष का हो गया। [5] राजा मान प्रतिहार का पुत्र देवलसिंह प्रतिहार अबू के राजा महिपाल परमार (1000-1014 ईस्वी) का समकालीन था। राजा देवलसिम्हा ने अपने देश को मुक्त करने के लिए या भीनमाल पर प्रतिहार पकड़ को फिर से स्थापित करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन व्यर्थ में। वह चार पहाड़ियों - डोडासा, नदवाना, काला-पहाड और सुंधा से युक्त, भीनमाल के दक्षिण पश्चिम में प्रदेशों के लिए बस गए। उन्होंने लोहियाना (वर्तमान जसवंतपुरा) को अपनी राजधानी बनाया। इसलिए यह उपकुल देवल प्रतिहार बन गया। [6] धीरे-धीरे उनके जागीर में आधुनिक जालोर जिले और उसके आसपास के 52 गाँव शामिल थे। देवल ने जालोर के चौहान कान्हाददेव के अलाउद्दीन खिलजी के प्रतिरोध में भाग लिया। लोहियाणा के ठाकुर धवलसिंह देवल ने महाराणा प्रताप को जनशक्ति की आपूर्ति की और उनकी बेटी की शादी महाराणा से की, बदले में महाराणा ने उन्हें "राणा" की उपाधि दी, जो इस दिन तक उनके साथ रहे। [7]

10 वीं शताब्दी में, जालोर पर परमारों का शासन था। 1181 में अल्हाना के सबसे छोटे बेटे , कीर्तिपाला जालौर पर कब्जा कर लिया। और जालौर की चौहानों की चौहानों की जालोर लाइन की स्थापना की। उनके बेटे समरसिम्हा ने उन्हें 1182 में सफलता दिलाई। समरसिम्हा को उदयसिम्हा ने सफल बनाया, जिन्होंने तुर्क से नाडोल और मंडोर पर कब्जा करके राज्य का विस्तार किया। उदयसिंह के शासनकाल के दौरान, जालोर दिल्ली सल्तनत की एक सहायक नदी थी। [8] उदयसिंह चचिगदेव और सामंतसिम्हा द्वारा सफल हुआ था। सामन्तसिंह को उनके पुत्र कान्हड़देव ने उत्तराधिकारी बनाया।

विरम और फिरोजा के संबंध में कहा जाता है कि बादशाह राजा विरम को "पन्नू पहलवान" के साथ "वेनिटी" के खेल के लिए आमंत्रित किया। पराजित करने के बाद पहलवान राजकुमारी फिरोजा को विरम से प्यार हो गया और उसने इसका प्रस्ताव भेजा विवाह, जिसे वीरम ने अस्वीकार कर दिया। इस बादशाह राजा से नाराज होकर अपने सैनिकों के साथ पूरे जालौर को घेर लिया। जालोर का यह पुत्र विरम देव, हेरोस का सबसे बड़ा और पीछे छोड़ दिया गया है मीठी यादें। कान्हड़देव और उनके पुत्र वीरमदेव की जालोर में रक्षा के लिए मृत्यु हो गई. सैकड़ों राजपूत बहादुरों ने अपने देश के लिए जान दे दी है, धर्म और गौरव बहादुर महिलाओं ने बचाने के लिए खुद को आग में डाल लिया है उनका सम्मान के लीये|[9]


जालोर, महाराणा प्रताप (1572-1597) की माँ जयवंता बाई का गृहनगर था। वह अखे राज सोंगरा की बेटी थी। राठौर रतलाम के शासकों ने अपने खजाने को सुरक्षित रखने के लिए जालौर किले का इस्तेमाल किया।

मध्य समय में लगभग 1690 [[जालोर] का शाही परिवार यदु चंद्रवंशी भाटी राजपूत जैसलमेर जालोर आए और अपना राज्य बनाया। उन्हें उमेडाबाद के स्थानीय लोगों द्वारा नाथजी के रूप में भी जाना जाता है। जालोर उनमें से एक दूसरी राजधानी है पहली राजधानी थी जोधपुर अभी भी छतरी जालोर के पूर्वजों के शाही परिवार से भाटी सरदार मौजूद हैं। उन्होंने अपने समय में मुगलों के बाद पूरे जालौर, जोधपुर पर शासन किया, उनके पास केवल उम्मेदबाद था।

[[गुजरात राज्य] गुजरात के तुर्क शासकों ने १६ वीं शताब्दी में जालोर पर कुछ समय के लिए शासन किया और यह मुगल साम्राज्य का हिस्सा बन गया। 1704 में इसे मारवाड़ में बहाल कर दिया गया और 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के तुरंत बाद तक राज्य का हिस्सा बना रहा।

मुख्य आकर्षण

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सुवर्णगिरी / जालौर किला

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भारत के सबसे प्रसिद्ध किलों में से एक जालौर किले का निर्माण 10वीं शताब्दी में परमारों द्वारा कराया गया था। यह अद्भुत किला खड़ी पहाड़ी पर स्थित है। यहां के महल बहुत साधरण हैं जिनमें बहुत अधिक सजावट देखने को नहीं मिलती। मंदिर में प्रवेश के चार भव्य द्वार हैं जहां तक पहुंचने का एक ही रास्ता है। किले का निर्माण पारंपरिक हिंदू वास्तुशिल्प के अनुरूप ही है।[10]

जहाज मंदिर

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जहाज मंदिर एक जैन मंदिर है जो बिशनगढ़ से 5 किलोमीटर दूर मांडवला गांव में है। श्री शांतिनाथ प्रभु की प्रतिमा और परमात्मा का मार्ग पंचधातु से बनाया गया है। जिस पर शुद्ध स्वर्ण की परत चढ़ाई गयी है। मुख्य प्रतिमा के दायीं ओर आदिनाथ और बायीं ओर भगवान वासुपूज्य विराजमान हैं। मंदिर के अन्य कोनों पर भी मूर्तियां रखी गई हैं। आराधना भवन और भोजनशाला के साथ ही एक विशाल धर्मशाला भी जुड़ी हुई है। जहाँ वातानुकूलित कमरे एवं सुंदर उद्यान निर्मित है। यहाँ 22 दिसंबर 1985 को आचार्य जिनकांतिसागरसूरिजी का स्वर्गवास हुआ था। उनकी स्मृति में उनके शिष्य आचार्य जिनमणिप्रभसूरिजी महाराज के निर्देशन में इस अद्भुत स्थापत्य का निर्माण कराया गया है। जालौर एक शान्‍त एवं सुसज्जित क्षेत्र है यहाँ पर बाहर के जिलों के कर्मचारी ज्‍यादा कार्यरत हैं। शिक्षा का स्‍तर बहुत कमजोर है।

श्री सुवर्णगिरी तीर्थ

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मुनि सुव्रत नेमी पार्श्व जिनालय

श्री सुवर्णगिरी तीर्थ जालौर शहर के पास सुवर्णगिरी पहाड़ी पर स्थित है। पद्मासन मुद्रा में बैठे भगवान महावीर यहां के मुख्य आराध्य देव हैं। मंदिर का निर्माण राजा कमरपाल ने करवाया था और इसकी देखरेख "श्री स्वर्णगिरी जैन श्‍वेतांबर तीर्थ पेढ़ी" नामक ट्रस्ट करता है। भगवान महावीर की श्‍वेत प्रतिमा की स्थापना 1221 विक्रम संवत् में की गई थी।

श्री उमेदपुर तीर्थ

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श्री उमेदपुर तीर्थ जालौर जिले के उमेदपुर में स्थित है। यह मंदिर श्री भीदभंजन पार्श्‍वनाथ भगवान को समर्पित है। मंदिर की नींव योगराज श्री विजय शांतिगुरु ने 1995 विक्रम संवत में रखी थी। यहां पर भोजनशाला और धर्मशाला में है।

तीर्थन्द्रनगर

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तीर्थेद्रनगर एक धार्मिक स्थल है जो जालौर से 48 किलोमीटर दूर है। श्री चमत्कारी पार्श्‍वनाथ जैन तीर्थ यहां के मुख्य आकर्षण हैं। जालौर से यहां के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है। सिवना का लीलाधर मंदिर यह मंदिर करीब 900 साल पुराना है इसकी स्थपना जालौर के चौहान शासक कान्हड़ेव के समय हुई थी। यह अब जालौर के मुख्य आकर्षण का केंद्र है

वायु मार्ग

नजदीकी हवाई अड्डा जोधपुर यहां से 140 किलोमीटर दूर है।

रेल मार्ग

यह जिला उत्तरी रेलवे के ब्रोड गेज लाइन से जुड़ा हुआ है। बहुत से शहरों से यहां के लिए रेल चलती हैं।

सड़क मार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग 15 इस जिले से होकर गुजरता है। सभी ब्लॉक मुख्यालय बस सेवा से जुड़े हुए हैं।

जनसंख्या

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जालोर में कुल आबादी 18,30,151 हैं| 9,36,634 पुरुष और 8,92,096 महिलाएं है [9]

लिंगानुपात - 951, जनसंख्या घनत्व - 172 व्यक्ती प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल -10640 वर्ग किलोमीटर

2024 में जालोर की अनुमानित जनसंख्या 2,340,000 है |[11]

सन्दर्भ

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  1. Jaunwal, Govind Singh (2023-10-27). Aadikalin Meena Itihaas. Booksclinic Publishing. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5823-762-7.
  2. जालौर इतिहास के तथ्यः पुनर्लेखन और पड़ताल
  3. "धर्म-आस्था: जालोर शहर में ऋषि पंचमी पर महर्षि जाबालि का किया पूजन". Dainik Bhaskar. 2020-08-26. अभिगमन तिथि 2021-01-14.
  4. Vasishtha, Nilima. Rajasthana KI Murtikala Parampara: 800 Isvi Se 1000 Isvi. पपृ॰ Pg 6. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788171373604.
  5. राव गणपतसिंह चितलवाना, भीनमाल का संस्कृत वैभव, पृ। ४६- ४ ९
  6. राव गणपतसिंह चितलवाना, भीनमाल का संस्कृत वैभव, पृ। 49
  7. राव गणपतसिंह चितलवाना, भीनमाल का संस्कृत वैभव, पृ। । 50- 53
  8. साँचा:Cite book। Title = The Chahamanas of Jalore
  9. "Census of india 2011 Jalore" (PDF).
  10. "अभेद्य है ये किला, अंदर जाने के लिए गुजरना पड़ता है चार दरवाजों से". Denik Bhashkar. मूल से 7 अप्रैल 2017 को पुरालेखित.
  11. "Jalor (Jalore) District Population Census 2011 - 2021 - 2024, Rajasthan literacy sex ratio and density". www.census2011.co.in. अभिगमन तिथि 2024-09-25.

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