यूक्रेनी भाषा एवं साहित्य
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उक्रेनी भाषा, उक्रेनी जनता की भाषा है जो मूलतः यूक्रेन में रहती है। इसका विकास प्राचीन रूसी भाषा से हुआ। यह स्लेवोनिक भाषाओं की पूर्वी शाखा में हे जिसमें इसके अतिरिक्त रूसी एवं बेलोरूसी भाषाएँ सम्मिलित हैं। इस भाषा के बोलनेवालों की संख्या 3 करोड़ 28 लाख से अधिक है। इसकी बोलियों के तीन मुख्य समूह हैं - उत्तरी उपभाषा, दक्षिण-पश्चिमी उपभाषा और दक्षिण-पूर्वी उपभाषा। आधुनिक साहित्यिक उक्रेनी का विकास दक्षिण-पूर्वी उपभाषा के आधार पर हुआ। उक्रेनी भाषा रूपरचना और वाक्यविन्यास में रूसी भाषा के निकट है।
यूक्रेनी साहित्य का इतिहास
[संपादित करें]उक्रेनी भाषा का विकास 12वीं सदी से प्रारंभ हुआ। इस काल से उक्रेनी जनता ने अनेक लोककथाओं और लोकगीतों की रचना की। इसी काल में वीरगाथाएँ, पौराणिक कथाएँ एवं धार्मिक रचनाएँ विकसित होने लगीं। प्राय: इन कृतियों के रचयिताओं के नाम अज्ञात हैं। 16वीं शताब्दी से नाटकों का भी विकास हुआ। 19वीं शताब्दी के मध्य से उक्रेनी साहित्य में यथार्थवादी धारा विकसित होने लगी। व्यंगात्मक रचनाएँ एक प्रसद्धि व्यंगलेखक स्कोवोरोटा (1722- 1794 ई.) लिखने लगे। सुप्रसिद्ध कवि और गद्यकार इ.प. कोत्लारेव्स्की (1769-1838 ई.) ने नव उक्रेनी साहित्य की स्थापना की। इन्होंने साहित्य और जीवन का दृढ़ संबंध रखा, उक्रेनी साहित्य की सभी शैलियों पर बहुत प्रभाव डाला तथा आधुनिक साहित्यिक भाषा की नींव रखी।
तरास ग्रिगोर्येविच शेव्चेंको (1814-1861 ई.) महान क्रांतिकारी जनकवि थे। उन्होंने उक्रेनो साहित्य में आलोचनात्मक यथार्थवाद की स्थापना की। अपनी कृतियों में वे जार के विरुद्ध क्रांतिकारी किसान आंदोलन की भावनाएँ और विचार प्रकट करते थे। उनकी अनेक कविताएँ अत्यंत लोकप्रिय हैं। उस समय के प्रसिद्ध गद्यकारों में पनास मिरनी और नाटककारों में इ. कार्पेको-कारिय हैं। सुप्रसिद्ध कवि, नाटककार और गद्यकार के रूप में इ.य. फ्रांको (1856-1916) विख्यात हैं, जिन्होंने अपनी बहुसंख्यक रचनाओं में उक्रेनी जनता के जीवन का विस्तारपूर्ण वर्णन किया है। सुप्रसिद्ध कवयित्री लेस्या उक्राइन्का (1871-1913) और कवि कोत्स्यूबिंस्की (1864-1913) ने अपनी कविताओं में उक्रेनी जनता के क्रांतिकारी संघर्ष का चित्रण किया।
अक्टूबर, सन् 1917 की महान समाजवादी क्रांति के बाद उक्रेनी साहित्य का विकास और भी अधिक होने लगा। इस काल के सबसे प्रसिद्ध कवि पावलो तिचीना और मैक्सीम रिलस्की हैं, एवं नई पीढ़ी के कवि गोंचारेंको, पेर्वोमैस्की आदि हैं। नाटक के क्षेत्र में सबसे बड़ी देन अलेक्संद्र कोर्नैचुक (जन्म 1905 ई.) की है। उपन्यासकारों और कहानीकारों में नतान रिबाक (जन्म 1913) एवं वदिम सोबको (जन्म 1912) सबसे अधिक विख्यात हैं। इस काल में उक्रेनी साहित्य समाजवादी यथार्थवाद के आधार पर विकसित होने लगा। गद्यकार और कवि आधुनिक सोवियत उक्राइना का और वीरतापूर्ण अतीत इतिहास का चित्रण करते थे।
सन् 1941-45 के महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध के बाद उक्रेनी साहित्य में और भी अधिक नए कवि और लेखक पैदा हुए। वर्तमान उक्रेनी कवि, जैसे पावलो तिचीना, मैक्सीम रिलस्की, मिकोला वज़्हान, अंद्रै मलिश्को, सोस्यूरा आदि अपनी कविताओं में मजदूरों और किसानों के जीवन का चित्रण करते तथा विश्वशांति के लिए संघर्ष और विभिन्न देशों की जनता की मैत्री की भावनाएँ करते हैं। उक्रेनी नाटककार, जैसे कोर्नैचुक, सोबको, द्मित्रेंको आदि सामाजिक, ऐतिहासिक और व्यंगात्मक नाटकों की रचना करते हैं। इन नाटकों का प्रदर्शन सोवियत संघ के बहुसंख्यक थियेटरों में किया जाता है। उक्रेनी गद्य का विकास भी तेजी से हो रहा है। ओलेस गोंचार, नतान रिबाक, पेत्रों पंच, स्तेलमह आदि अपने उपन्यासों और कहानियों में सोवियत जनता की युद्धकालीन बहादुरी का और साम्यवादी समाज के निर्माण के लिए मजदूरों, किसानों और बुद्धिजीवियों के वीरतापूर्ण परिश्रम का वर्णन करते हैं। उक्रेनी लेखक सोवियत संघ के सामाजिक जीवन में सक्रिय भाग लेते हैं।
उक्रेनी लेखकों की अनेक कृतियाँ सोवियत संघ की अन्य अनेक भाषाओं तथा विदेशी भाषाओं में अनूदित हो रही हैं और समस्त सोवियत संघ तथा विदेशों में लोकप्रिय हो गई हैं। साथ ही सोवियत संघ की अन्य भाषाओं के साहित्य तथा विदेशी साहित्यों की रचनाएँ उक्रेनी भाषा में अनूदित और प्रकाशित हो रही हैं। इनमें प्राचीन एवं अर्वाचीन भारतीय साहित्य की अनेक कृतियाँ भी सम्मिलित हैं।
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- हिंदी-यूक्रेनी तथा यूक्रेनी-हिंदी शब्दावली (7000 से अधिक शब्द)
- Ethnologue report for Ukrainian
- СЛОВНИК.НЕТ - A monolingual dictionary of modern Ukrainian
- Ukrainian language - the third official? - Ukrayinska Pravda, 28 नवम्बर 2005
- English-Ukrainian Dictionary
- Ukrainian–English Dictionary
- Dialects of Ukrainian Language / Narzecza Języka Ukraińskiego by Wł. Kuraszkiewicz (पोलिश)
- Hammond's Racial map of Europe, 1919 "National Alumni" 1920, vol.7
- Ethnographic map of Europe 1914 (अंग्रेज़ी में)