परावटु ग्रंथि
परावटु ग्रन्थि ( = परा + अवटु ; पैराथायरॉइड ग्रन्थि), अवटु ग्रंथि की पृष्ठ सतह में धँसी दो जोड़ी या चार छोटी अण्डाकार-सी लाल रंग की ग्रथियाँ होती हैं। मनुष्य में इनका भार 0.01 से 0.03 ग्राम होता है। इनके साथ-साथ कई प्रकार की कोशिकाएँ तथा रक्त पात्र भी पाये जाते हैं। ये ग्रन्थियाँ पैराथॉरमोन नामक हॉर्मोन का स्रवण करती हैं। यह हॉर्मोन विटामिन डी के साथ मिलकर रक्त में कैल्सियम की मात्रा को बनाने का कार्य करता है। साथ ही यह आँत में कैल्सियम के अवशोषण को तथा वृक्कों में इसके पुनरावशोषण (Reabsorption) को बढ़ाता है। रक्त में कैल्सियम की इस प्रकार बड़ी मात्रा का उपयोग अस्थि निर्माण तथा दन्त निर्माण में किया जाता है। कैल्सियम पेशियों के सिकुडने तथा फैलने में भी सहयोग करता है।
यदि किन्ही कारणों से पैराथॉरमोन हॉर्मोन की कमी शरीर में हो जाये तब पेशियों तथा तन्त्रिकाओं में आवश्यक उत्तेजना के कारण ऐंठन और कम्पन होने लगता है। कभी-कभी ऐच्छिक पेशियों में लम्बे समय तक सिकुड़न पैदा हो जाती है। अधिकांश रोगी कंठ की पेशियों में ऐसी सिकुड़न के कारण साँस नहीं ले पाते हैं, और मर जाते हैं। इस रोग को अपतानिका (टिटैनी / Tetany) कहते हैं।
कभी-कभी यह ग्रन्थि अधिक हॉर्मोन का स्राव करने लगती है । इससे हड्डियाँ गलकर कोमल तथा कमजोर हो जाती हैं। तन्त्रिका सूत्र तथा पेशियाँ कमजोर हो जाती हैं। मूत्र की मात्रा बन्द हो जाने से प्यास बढ़ जाती है, भूख मर जाती है, सिर दर्द रहने लगता है।
परावटु ग्रंथि दो प्रकार के हार्मोन स्रावित करती है- पैरा थायराइड हार्मोन और कैल्सीटोनिन हार्मोन। कैल्शियम की मात्रा बढ़ने पर पैरा थायराइड हार्मोन निकलता है तथा कैल्शियम की मात्रा घटने पर कैल्सीटोनिन हार्मोन निकलता है। इससे ही पथरी बनती है।