डंडा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]डंडा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ दण्ड]
१. लकडी या बाँस का सीधा लंबा टुकड़ा । लंबी सीधी लकड़ी या बाँस जिसे हाथ में ले सकें । सोंटा । मोटा छड़ी । लाठी । मुहा॰—डंडा खाना = डंडे की मार सहना । डंडा चलाना = डंडे से प्रहार करना । डंडे खेलना = डंडो की लडा़ई का खेल खेलना । (भादों बदी चौय की पाठशालाओं के लड़के यह खेल खेलने निकलते हैं) । डंडा चलाना = डंडे से प्रहार करना । डंडे देना = विवाह संबंध होने के पीछे भादों बदी चौथ को बेटीवाले का बेटेवाले के यहाँ चाँदी के पत्तर चढे़ हुए कलम, दवात आदि भोजने की रीति करना । डंडा बजाते फिरना = मारा मारा फिरना ।
३. डाँड़ । डँड़वारा । वह कम उँची दीवार जो किसी स्थान को घेरने के लिये उठाई जाय । चारदीवारी ।
डंडा पु † ^२ संज्ञा पुं॰ [देशी डंडय ( = रथ्या)] मार्ग । लीक राह । उ॰—बाग बृच्छ बेली पर अंडा । सतगुरु सुरति बतावैं डंडा ।—घट॰, पृ॰ २४७ ।