विकिपीडिया:अपनी नाक में मटर मत डाल लेना
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ये पन्ना छोटे शब्दों में: अगर आप लोगों को कुछ न करने को कहते हैं, तो हो सकता है आप उल्टा उन्हें उसी चीज़ को करने के लिए उकसा दें। |
एक गाँव में किसी छोटे लड़के की माँ उसे घर पर छोड़कर ख़ुद बाज़ार जाने वाली थी। उसे अपने बच्चे की चिंता थी जो हमेशा किसी-न-किसी शरारत में लगा रहता था। उसने लड़के को डांटते हुए बोला, 'सुनो! शरारत नहीं करना। रसोई से सारी सब्ज़ी मत खा जाना। दूध मत गिराना। गाय की दुम मत खींचना। कुँए में मत गिर जाना।' लड़का पहले यह सभी शरारतें कर के मुसीबत में पड़ चुका था। माँ ने सोचा कि एक नई शरारत करने से लड़के को पहले ही रोक दिया जाए और उसने एक चेतावनी और दी, "और अपनी नाक में मटर के दाने मत डाल लेना!" यह लड़के के लिए एक बिलकुल नई और दिलचस्प चीज़ थी, इसलिए उसने माँ के निकलते ही सबसे पहला काम अपने नाक में मटर भर लेने का किया।
दूसरों को किसी बुरी हरकत से बचाने के जोश में, हम कभी-कभी उन्हें ऐसे बुरे ख़्याल दे देतें हैं जो उन्हें स्वयं कभी न आते। इसलिए इन बातों में बुद्धिमानी कभी-कभी चुप रहने में ही है। जैसा कि बड़े-बूढ़े समझदार देसी बोली में कहा करते थे, "अच्छी नियत से भी बुरे नुस्ख़ें मत सिखाओ!"