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टांकिकाम्ल

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बोरिक अम्ल
बोरिक अम्ल

टांकिकाम्ल (बोरिक अम्ल, H3BO3) पृथ्वी में सभी जगह एवं जीवशरीर में न्यून मात्रा में उपस्थित रहता है। अनेक खनिज जलों में यह अधिक मात्रा में विलीन रहता है। होमबर्ग ने 1702 ई. में सर्वप्रथम इसे सुहागे पर गन्धकाम्ल की क्रिया द्वारा निर्मित किया।

निर्माण

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ज्वालामुखी जलों, या गरम स्रोतों, के जल के वाष्पीकरण से टांकिकाम्ल प्राप्त हो सकता है, पर आजकल इसे गरम सांद्र सुहागा के विलयन पर सांद्र गन्धकाम्ल की क्रिया से प्राप्त किया जाता है :

Na2 B4 O7 + H2 SO4 + 5 H2O = 4B (OH)3 + Na2 SO4

न्यून ताप पर टांकिकाम्ल की विलेयता बहुत कम है। इस कारण विलयन को ठंडा करने पर टांकिकाम्ल के श्वेत क्रिस्टल निकल आते हैं।

गुणधर्म

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टांकिकाम्ल श्वेत पट्टिकाओं में क्रिस्टलीकृत होता है, जो छूने पर कोमल और साबुन जैसी ज्ञात होती हैं। इसकी 0 डिग्री सें. ताप पर जलविलेयता 2.6 प्रतिशत, 25 डिग्री सें. पर 6.27 प्रतिशत और 107 डिग्री सें. पर 37 प्रतिशत है।

100 डिग्री सें. ताप पर टांकिकाम्ल अनार्द्र होकर मेटाटांकिकाम्ल बनता है :

H3 BO3 (100 °C) ---> H BO2 + H2 O

अधिक उच्च ताप पर बोरॉन ऑक्साइड बन जाता है। टांकिकाम्ल एक दुर्बल अम्ल है और केवल एकक्षारकी (monobasic) अम्ल की प्रतिक्रियाएँ देता है। ऐसा अनुमान है कि टांकिकाम्ल जलविलयन में जलयोजित (hydrated) रूप में रहता है, जिसके फलस्वरूप केवल एक हाइड्रोजन आयन या प्रोटॉन मुक्त होता है।

B (OH)3 + H2 O = B (OH)4- + H+

टांकिकाम्ल की दुर्बलता के कारण उसका क्षार के साथ अनुमापन (titration) नहीं हो सकता, परंतु उसके विलयन में ग्लिसरीन या मैनीटॉल डालने से उसके अम्लीय गुण में वृद्धि हो जाती है और तब उसका क्षार विलयन के साथ अनुमापन हो सकता है। सामान्य टांकिकाम्ल के गुण स्थिर नही होते, परंतु मेटाबोरिक, (NaBO2) तथा अन्य अंतर्वर्ती (intermediate) बोरिक अम्लों के लवण ज्ञात है। इनमें बोरैक्स या सुहागा, (Na2B4O7, 10H2O), अत्यंत उपयोगी लवण है। यह चतुटांकिकाम्ल, (H2B4O7) का लवण है, जो स्वयं असंयुक्त अवस्था में प्राप्त नहीं होता। जलविलयन में जलअपघटन (hydrolysis) के कारण इसमें क्षारगुण प्रधान हो जाता है, जिससे पीएच (pH) लगभग 9 रहता है। इस कारण बोरैक्स का विलयन उभय प्रतिरोधी (buffer) के रूप में उपयोग में आता है।

टांकिकाम्ल के अनेक कार्बनिक व्युत्पन्न ज्ञात हैं, जिनके द्वारा बोरॉन के कार्बनिक परंपरा के यौगिक प्राप्त हो सकते हैं।

टांकिकाम्ल जीवाणुनाशक पदार्थ है और चिकित्सा में काम आता है। यह खाद्य पदार्थों में जीवाणुओं की रोकथाम कर सकता है, परंतु स्वयं इसमें कुछ विषैले गुण होने के कारण इसके खाद्य संबंधी उपयोगों पर रोक लगा दी गई हैं। लकड़ी पर चमक तथा कपड़ों के ज्वाला प्रतिरोधी बनाने के यह काम आता है। इसको निकल के विद्युल्लेपन (electroplating) कार्य के विलयन में भी डालते हैं। इसका उपयोग ऊष्मा प्रतिरोधी काच बनाने में हो रहा है। चीनी मिट्टी के बरतनों में चमक लाने के लिए टांकिकाम्ल तथा बोरेट यौगिकों का पुरातन काल से उपयोग होता आया है। बोरॉन सर्वदा मिट्टी में सूक्ष्म मात्रा में उपस्थित रहता है। यह पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक तत्व है। जिस भूमि में बोरान की मात्रा कम हो गई हो, उसमें टांकिकाम्ल डालने से पौधों की समुचित वृद्धि होती है। टांकिकाम्ल हल्दी से क्रिया कर तीव्र लाल रंग देता है, जो इसके विश्लेषण के लिए उपयोगी है।

बाहरी कड़ियाँ

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