न्यायालयिक नृविज्ञान
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फॉरेंसिक नृविज्ञान एक विज्ञान का विषय है जिस में मनुष्य जाती के बारे में अध्ययन किया जाता है। न्यायालयिक नृविज्ञान के साथ ही न्यायालयिक पुरातत्व और न्यायालयिक ताफोनोमी भी आते हैं। नृविज्ञान का अर्थ है मनुष्य जाति का विज्ञान। न्यायालयिक मानवविज्ञानी मानव अवशेष की पहचान करने में सहायता करता है। किसी अपराधिक जगह या किसी भी जगह कोई अनजान मानव अवशेष मिलता है तो उसकी जाँच की जाती है कि वो कोण है और कहा से आया है। बस इतना ही नहीं मानव अवशेष का विश्लेषण कर के यह भी पता लगया जा सकता है कि उसकी मत्यु कब, कहा और केसे हुए होगी। मानवविज्ञानी का कम है उस अनजान व्यक्ति की पहचान करना प्राप्त हुए मानव अवशेष से। अनजान मानव अवशेष जेसे हड्डियों या कंकाल की पहचान करने के लिए कई विधि का उपयुग किया जाता है।
तरीके
[संपादित करें]लिंग का पता लगाना
- मनुष्य के श्रोणि की हड्डियों से लिंग का पता लगया जा सकता है कि वो पुरोष है या महिला।
- खोपड़ी से भी लिंग का पता लगया जा सकता है कि वो पुरुष है या महिला।
उम्र का पता लगाना
- २१ वर्ष से कम उम्र के बच्चों की उम्र के निर्धारण, आमतौर पर दांतों की जांच के द्वारा किया जा सकता है
- जब दाँत उपलब्ध नहीं होते हैं, तो बच्चों को वृद्ध करने के लिए विश्लेषण किया जाता है विकास प्लेटें कब तक सील होती हैं
कद का पता लगाना
- कद का पता लगाने मी तीन हड्डियों का इस्तमाल होता है - फिमर, टिबुला और फिबुला साथ ही हाथ की हड्डिया भी- हुमेरुस, अल्ना और रेडियस।
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- Analysis of Skeletal Remains". Westport Public Schools. Retrieved August 20, 2015.
- Anthropological Views". National Institute of Health. June 5, 2014. Retrieved August 20, 2015.
- Code of Ethics and Conduct" (PDF). Scientific Working Group for Forensic Anthropology. June 1, 2010. Retrieved August 21, 2015.