पट्टम ताणु पिल्लै
पट्टम ताणु पिल्लै' (1885 - 1970) भारत के पूर्ववर्ती त्रावणकोर (केरल) से एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (PSP) के राजनेता थे जो भारत की संविधान सभा के सदस्य चुने गए। वह ब्रिटिशकालीन त्रावणकोर के पहले प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता के बाद 1949 में (त्रावणकोर- कचीन) राज्य का गठन किया गया, वह उसके के चोथे मुख्यमंत्री बने। बाद में 1956 में केरल राज्य की स्थापना के बाद वह केरल के दूसरे मुख्यंत्री बने।
Pattom A. Thanu Pillai | |
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चित्र:Pattom Thanu Pillai.jpg | |
पद बहाल 4 May 1964 – 11 April 1968 | |
Chief Minister | Kasu Brahmananda Reddy |
पूर्वा धिकारी | Satyawant Mallannah Shrinagesh |
उत्तरा धिकारी | Khandubhai Kasanji Desai |
पद बहाल 1 October 1962 – 4 May 1964 | |
Chief Minister | Partap Singh Kairon |
पूर्वा धिकारी | Narahar Vishnu Gadgil |
उत्तरा धिकारी | Hafiz Mohammad Ibrahim |
पद बहाल 22 February 1960 – 26 September 1962 | |
राज्यपाल | Burgula Ramakrishna Rao V. V. Giri |
सहायक | R. Sankar |
पूर्वा धिकारी | E. M. S. Namboodiripad |
उत्तरा धिकारी | R. Sankar |
4th Chief Minister of Travancore-Cochin
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पद बहाल 16 March 1954 – 10 February 1955 | |
राज्यपाल | Chithira Thirunal Balarama Varma |
पूर्वा धिकारी | A. J. John |
उत्तरा धिकारी | Panampilly Govinda Menon |
1st Prime Minister of Travancore
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पद बहाल 24 March 1948 – 17 October 1948 | |
राजा | Chithira Thirunal Balarama Varma |
पूर्वा धिकारी | Office Established |
उत्तरा धिकारी | Parur T. K. Narayana Pillai |
जन्म | 15 जुलाई 1885 Trivandrum, Travancore, British India |
मृत्यु | 27 जुलाई 1970 Thiruvananthapuram, Kerala, भारत | (उम्र 85 वर्ष)
राजनीतिक दल | Praja Socialist Party (from 1954) |
अन्य राजनीतिक संबद्धताऐं |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Until 1954) |
जीवन संगी | Ponnamma Thanu Pillai |
बच्चे | Lalithambika |
जीवन परिचय
[संपादित करें]पिल्ले का जन्म 15 जुलाई 1885 को तिरुअनन्तपुरम में हुआ था। उन्होंने त्रिरुवंनतपुरम की महाराजा यूनिवर्सिटी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की और कानून की डिग्री हासिल कर एक वकील के रूप में अपना कानूनी प्रैक्टिस शुरू किया। अपने गुरु नारायण पिल्लै के प्रभाव में, वे नवगठित त्रावणकोर राज्य कांग्रेस की ओर आकर्षित हुए और उन्होंने उत्तरदायी सरकार के लिए आंदोलन करने के पक्ष में पूर्णकालिक अभ्यास छोड़ दिया। नारायण पिल्लै राजद्रोह के मुकदमे के बाद, उन्होंने त्रावणकोर की तत्कालीन रियासत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व संभाला।