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संवहनीय ऊतक

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संवहनीय ऊतक में जटिल ऊतक, दारु तथा पोषवाह होते हैं। दारु तथा पोषवाह दोनों मिलकर संवहन पूल बनाते हैं। द्विबीजपत्री में दारु तथा पोषवाह के मध्य एधा होता है। ऐसे संवहनीय पूलों जिनमें एधा होता है और वे लगातार द्वितीयक दारु तथा पोषवाह बनाते रहते हैं उन्हें खुला संवहनीय पूल कहते हैं। एकबीजपत्री पादपों में एधा नहीं होता। चूँकि वे द्वितीयक ऊतक नहीं बनाते इसलिए उन्हें बन्द संवहनीय पूल कहते हैं।

जब दारु तथा पोषवाह एकान्तर तरीके से भिन्न त्रिज्या पर होते हैं, तब ऐसे पूल को अरीय कहते जैसे मूल में। संयुक्त पूल में दारु तथा पोषवाह एक ही त्रिज्या पर स्थित होते हैं जैसे तने तथा पत्रों में। संयुक्त संवहनीय पूलों में प्राय: पोषवाह दारु के बाहर की ओर स्थित होता है।

सन्दर्भ

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