स्वतंत्र पार्टी
स्वराज पार्टी से भ्रमित न हों।
स्वतन्त्र पार्टी, भारत का एक राजनैतिक दल था जिसकी स्थापना चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने अगस्त, १९५९ में की थी। इस दल ने जवाहरलाल नेहरू की समाजवादी नीति का विरोध किया और तथाकथित "लाइसेंस-परमिट राज" को समाप्त कर मुक्त अर्थव्यवस्था की वकालत की। भारत की उस समय की स्थिति ऐसी थी कि दुर्भाग्य से इसे जमींदारों और उद्योगपतियों की हितैषी पार्टी माना गया।
स्वतन्त्र पार्टी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में अच्छी सफलता प्राप्त की थी लेकिन १९७४ में पीलू मोदी की अध्यक्षता वाली इस पार्टी के भारतीय लोकदल में विलय के साथ इसका अस्तित्व खत्म हो गया।
इस पार्टी का नेतृत्व सी. राजगोपालाचारी, के.एम. मुंशी, एन.जी. रंगा और मीनू मसानी जैसे पुराने कांग्रेस नेता कर रहे थे । यह पार्टी आर्थिक मस्लो पर अपनी खास किस्म की पक्षधरता के कारण दूसरी पार्टियों से अलग थी। स्वतन्त्र पार्टी चाहती थी कि सरकार अर्थव्यवस्था में कम से कमतर हस्तक्षेप करें। इसका मानना था कि समृद्धि सिर्फ व्यक्तिगत स्वतन्त्रता के जरिए आ सकती हैं।
Year | Election | Popular- vote |
Seats |
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1962 | 1962 Indian general election | 7.9 % | 18 / 494 [1]
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1967 | 1967 Indian general election | 8.7 % | 44 / 520
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1971 | 1971 Indian general election | 3.1 % | 8 / 518
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बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- C. Rajagopalachari : Save freedom. Why Swatantra, 1960
- Minoo Masani: To provide A Democratic Alternative. Why Swatantra, 1960
- K.M. Munshi: To Restore Fundamental Rights. Why Swatantra, 1960
- N.G. Ranga: To Preserve Family Economy. Why Swatantra, 1960
- A number of links at sabhlokcity.com
- Rediff On The NeT: Rajmohan Gandhi on C Rajagopalachari and the birth of the Swatantra Party
- Revive the Swatantra Party
- Minoo Masani And The Swatantra Party
- ↑ "Statistical Report On General Elections, 1962 To The Third Lok Sabha" (PDF). Election Commission of India. मूल (PDF) से 18 July 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 April 2014.