कनाडा से बीते कुछ समय में भारत के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो चुके. वो उन लोगों को सुरक्ष दे रहा है, जो देश को तोड़ने की मंशा रखते हैं. बल्कि इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए जस्टिन ट्रूडो सरकार ने खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या का आरोप भी भारतीय डिप्लोमेट्स पर लगा दिया. इसके बाद से तनाव की डोर खिंचती चली आ रही है. हाल में ट्रूडो सरकार ने एक और एक्शन लेते हुए देश को खतरे वाले देशों की लिस्ट में डाल दिया. उसने आशंका जताई कि भारत की तरफ से कनाडियन वेबसाइटों पर अटैक हो सकता है.
क्या है पूरा मामला
ट्रूडो सरकार की तरफ से जारी नेशनल साइबर थ्रेट असेसमेंट 2025-26 रिपोर्ट में भारत को लेकर ऐसी आशंका जताई गई. इससे पहले कनाडियन खुफिया एजेंसियों ने भी ऐसी चेतावनी दी थी कि दिल्ली की तरफ से ओटावा पर साइबर अटैक हो सकता है. 31 अक्टूबर को यह रिपोर्ट वहां की आधिकारिक वेबसाइट पर आ गई. खतरा ला सकने वाले देशों की सूची में चीन, रूस, ईरान और उत्तर कोरिया जैसे नाम भी हैं. ट्रू़डो सरकार की ये हरकत उकसाने वाली है.
कनाडा ने तो भारत को खतरे पैदा करने वाले देशों की श्रेणी में डाल दिया, लेकिन क्या भारत भी ऐसा कर सकता है?
क्या उसके पास ऐसा कोई तरीका है, जिससे वो निगेटिव विदेशी ताकतों को अलग लिस्ट में रख सके?
हमारे पास किसी देश को औपचारिक रूप से आतंकी देश घोषित करने के लिए एक आधिकारिक सूची नहीं है. यह लिस्ट अमेरिका के पास जरूर है, जिसे स्टेट स्पॉन्सर ऑफ टैररिज्म कहा जाता है. एक्सपर्ट मांग कर रहे हैं कि भारत के पास भी ऐसी कोई श्रेणी हो, जिसमें देशों को आतंक को बढ़ावा देने वाली लिस्ट में डाला जा सके. लेकिन क्या है स्टेट स्पॉन्सर ऑफ टैररिज्म.
जैसा कि नाम से समझा जा सकता है, यह आतंकवाद की वो कैटेगरी है, जिसमें कोई देश किसी दूसरे देश में अस्थिरता लाने के लिए वहां आतंकियों को फंड करता है. ये फंडिंग हथियारों और मिलिट्री ट्रेनिंग दोनों तरह की हो सकती है. कई बार आतंकी सीमा पार करके खुद अस्थिरता लाते हैं, तो कई बार लोकल लोगों को ही उकसाकर अलगाववादी बना देते हैं. कई बार ऐसे देश आतंकियों को पनाह देने का काम भी करते हैं, जैसा कनाडा करता आया है.
अगर कोई देश किसी अन्य को स्टेट स्पॉन्सर ऑफ टैररिज्म की श्रेणी में रखे तो इसके कानूनी, आर्थिक और कूटनीतिक तीनों ही नतीजे होते हैं. ऐसा देश अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ते नहीं रख सकता, न ही रक्षा सौदे कर सकता है. उसके डिप्लोमेट्स वहां तैनात नहीं होते हैं. यहां तक कि इंटरनेशनल संस्थाएं भी सीधी मदद से कतराती हैं क्योंकि इन देशों को अमेरिका ने आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला मान रखा है.
फिलहाल यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की लिस्ट में चार देश हैं- क्यूबा, उत्तर कोरिया, ईरान और सीरिया. इनपर भारी पाबंदियां लगी हुई हैं. अगर कोई देश खुद को इस लिस्ट से हटाना चाहे तो उसे कई प्रक्रियाओं से गुजरना होता है, साथ ही ये भरोसा दिलाना होता है कि वो आगे चलकर भी आतंक से दूर रहेगा.
कनाडा के पास भी औपचारिक व्यवस्था
स्टेट इम्युनिटी एक्ट के तहत कनाडा के पास भी ऐसा बंदोबस्त है कि वो किसी देश को आतंक को बढ़ावा देने वाली लिस्ट में डाल सके. इसमें सीरिया और ईरान के अलावा कई संगठन हैं, जैसे इस्लामिक स्टेट और अलकायदा.
भारत के पास किसी देश को आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला घोषित करने का फिलहाल कोई आधिकारिक सिस्टम नहीं. हालांकि उसके पास ये तरीका है कि वो देशों पर इकनॉमिक प्रतिबंध लगा सकता है. चूंकि भारत फिलहाल बड़ी ताकत है, लिहाजा इस पाबंदी का काफी असर हो सकता है. जैसे मालदीव ने भारत की कड़ाई भांपते ही तुरंत अपने सुर बदल लिए.
दूसरे देशों के गुट अगर अपने यहां आतंक मचा रहे हों तो उन्हें टेररिस्ट की लिस्ट में डालने के अलग नियम हैं. भारत में अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट 1967 है. गृह मंत्रालय इसकी लिस्ट बनाता है. वही तय करता है कि कौन से गुट आतंकी की श्रेणी में आएंगे, और कौन बाहर रहेंगे. कई गुट अलग विचारधारा के होते हैं, लेकिन अगर वे कत्लेआम न मचाएं, या पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान न करें तो टैरर ग्रुप में आने से बचे रहते हैं. वैसे फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन (FTO) के लिए हर देश के अलग कायदे हैं, लेकिन अगर किसी गुट पर ये ठप्पा लग जाए तो उसे वीजा नहीं मिलता है, साथ ही संपत्तियां फ्रीज हो जाती हैं.