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VIP इंटरव्यूचुनाव बाद अजित पवार कहां जाएंगे पता नहीं:नवाब मलिक बोले- अबु आजमी के दफ्तर में चलता है ‘दम मारो दम’
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नवाब मलिक, महाराष्ट्र के वो नेता जो आर्यन खान ड्रग्स केस में सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे। जिन्होंने तकरीबन रोज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी NCB के डायरेक्टर समीर वानखेड़े पर आरोपों की झड़ी लगा दी थी।
उद्धव सरकार में मंत्री रहे नवाब मलिक अब शरद पवार को छोड़कर उनसे बगावत करने वाले भतीजे अजित पवार की NCP में शामिल हैं। अब वे विधानसभा चुनाव भी लड़ रहे हैं। उन्होंने बेटी सना को भी टिकट दिलवाया है।
इस बार महाराष्ट्र में दो गठबंधनों के बीच टक्कर है। महायुति और महाविकास अघाड़ी। दोनों खेमों में 3-3 पार्टियां हैं। एक ओर BJP, शिवसेना शिंदे और अजित पवार वाली NCP, तो दूसरी तरफ कांग्रेस, शिवसेना उद्धव और शरद पवार की NCP। मगर सियासत का रुख ऐसा बदला है कि दोनों खेमों में शामिल पार्टियां आपस में भी भिड़ी हुई हैं। कई सीटों पर बागी गणित बिगाड़ रहे हैं। ऐसा ही एक नाम है, नवाब मलिक।
नवाब मलिक ने दैनिक भास्कर रिपोर्टर मनीषा भल्ला को दिए इंटरव्यू में कहा- ‘यह सच है कि अजित पवार BJP की अगुआई वाले महायुति गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन नतीजों के बाद कौन किसके साथ जाएगा, इसकी कोई गारंटी नहीं। इस चुनाव में बागी और निर्दलीय भी अहम होंगे।’ पढ़िए और देखिए पूरा इंटरव्यू…
सवाल 1: अजित पवार वाली NCP से क्यों शामिल हुए, क्या मुकदमों से बचना था? जवाब: मैंने पार्टी नहीं बदली। जिसमें था, उसी में हूं। मैं दादा (अजित पवार) के साथ था। जो मुसीबत में मेरे साथ थे, मेरी जिम्मेदारी बनती है उनके साथ खड़े होना। मैंने दादा से साफ बता दिया था कि शिवाजीनगर की जनता चाहती है कि मैं वहां से चुनाव लड़ूं। बेटी सना का भी चुनाव लड़ना तय था। मैंने तो यह भी कहा था कि अगर दादा चाहें तो हम दोनों निर्दलीय चुनाव लड़ लेंगे, लेकिन दादा बोले-आप दोनों को पार्टी से चुनाव लड़ना है।
BJP और शिवसेना शिंदे ने टिकट दिए जाने का विरोध किया। दबाव के बावजूद दादा ने टिकट दिया।
जहां तक सवाल है कि मैं मुकदमों से बचने के लिए अजित पवार के साथ आया हूं, तो बस इतना ही कहूंगा, “बोलने वाले हैं, उन्हें अधिकार है बोलने का।”
पिछले 50 सालों में कभी डर की राजनीति नहीं की। जब भी विपक्ष में रहे, जिस तरह से हमने चीजों को आगे बढ़ाया, अगर डरने वाले लोग होते तो कभी ऐसा न कर पाते। बहुत से लोग दोस्ती भी रखते हैं और राजनीति भी करते हैं। ये लोग जनता में अलग, पीछे अलग हैं, लेकिन हमने कभी ऐसा नहीं किया। गलत को गलत ही बोला। अन्याय के खिलाफ खड़े रहे हैं और खड़े रहेंगे।
मुझ पर सवाल उठाने वालों का चरित्र देखिए। उनमें से कोई खुद कल तक BJP का नेता था तो कोई शिवसेना में था।
महाराष्ट्र में कब कौन भाजपाई, कांग्रेसी बन जाएगा और कौन कांग्रेसी से भाजपाई, कहा नहीं जा सकता। ये अलग तरह के लोगों का संगम है। ऐसे ही लोग मुझ पर सवाल उठा रहे हैं। वो हमें पहचानते नहीं।
सवाल 2: आप अपने समर्थकों से क्या कहेंगे? BJP की अगुआई वाले गठबंधन में शामिल होने पर क्या समझाएंगे? जवाब: मैं अजित पवार के साथ हूं, मैं BJP के साथ हूं ही नहीं। BJP तो मेरे खिलाफ चुनाव लड़ रही है। BJP का प्रेम मेरे प्रति कितना है यह देश और महाराष्ट्र की जनता जानती है। आज भी मेरे खिलाफ बयानबाजी की जा रही है, कई दिनों से मेरी छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है।
यह सच है कि अजित पवार गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन चुनाव नतीजों के बाद कौन किसके साथ होगा, गारंटी है क्या?
2019 के चुनाव से पहले कोई कह सकता था कि महाराष्ट्र में अलग तरह की सरकार बनेगी। हम लोगों ने बनाई। चीजें हमने बदलींं।
क्या ममता बनर्जी ने BJP के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ा, अटल जी की सरकार में मंत्री नहीं रहीं।
फारूक अब्दुल्ला हों या महबूबा मुफ्ती, क्या वे BJP के साथ नहीं थे? यही इतिहास रहा है। क्या समाजवादी पार्टी में नेता जी (मुलायम सिंह) BJP के समर्थन से मुख्यमंत्री नहीं बने?
पॉलिटिकल एडजस्टमेंट होते हैं, लेकिन अगर कोई पार्टी अपनी विचारधारा छोड़ दे तो यह सबसे बड़ा घातक होता है।
सवाल 3: चुनाव जीते तो आप महायुति में BJP के साथ कैसे काम करेंगे? जवाब: नतीजों के बाद क्या होगा, आज मैं कैसे भविष्यवाणी कर दूं, लेकिन 23 तारीख के नतीजों के बाद अजीत पवार किंग मेकर होंगे। नतीजों के बाद हमारी पार्टी या अजित पवार का रोल चंद्रबाबू नायडू जैसा भी हो सकता है। इंतजार कीजिए 23 तारीख तक।
सवाल 4: BJP नेता किरीट सोमैया ने आपको आतंकवादी, देश के टुकड़े करने वाला और दाऊद का एजेंट बताते हुए कहा कि अजित पवार ने आपको टिकट देकर विश्वासघात किया है। जवाब: फिल्मों में आइटम सॉन्ग होते हैं। किरीट सोमैया महाराष्ट्र की राजनीति के आइटम सॉन्ग का एक पात्र हैं। उनके जैसे लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देता हूं।
BJP मेरे विरोध में है और पूरी तरह से है। वो तो चाहती है कि मैं राजनीति से आउट हो जाऊं, लेकिन अजित पवार ने उम्मीदवार बनाकर भरोसा जताया है, मैं उनका आभारी हूं। वो मेरे प्रचार में भी आए थे। मैं निश्चित तौर से जीतूंगा। चाहे सामने BJP का प्रत्याशी हो या महायुति का।
मानखुर्द शिवाजीनगर की जनता ने मुझे बुलाया है। यहां गुंडागर्दी और नशा बुरी तरह से फैला हुआ है। लोगों में गुस्सा है। जनता बदलाव चाहती है। यहां के नतीजे चौंकाने वाले रहेंगे। मैं मानखुर्द से बड़े मार्जिन से जीतूंगा। महायुति ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा किया है।
सवाल 5: BJP आपके खिलाफ, आप भी BJP के खिलाफ जमकर बोलते हैं, सरकार बनी तो 'सेक्युलर' राजनीति कैसे करेंगे? जवाब: यह वाहियात नारा है। धर्म पर आधारित राजनीति ज्यादा दिन नहीं चलती है। मैं गठबंधन में नहीं हूं, मैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में हूं। अपनी विचारधारा के साथ हूं।
हमारी पार्टी के नेता मोदी नहीं हैं, देवेंद्र फडणवीस नहीं हैं या योगी जी नहीं हैं। हमारी पार्टी के नेता अजित पवार हैं।
मैं सभी को बता देना चाहता हूं कि धर्म पर आधारित राजनीति चलती नहीं है, वाहियात नारों से ज्यादा दिनों तक वोट मिलता नहीं है। साल 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद UP में कल्याण सिंह की सरकार बरखास्त की गई। छह महीने के अंदर चुनाव हुए। धर्म की राजनीति चरम पर नजर आ रही थी, लेकिन 1993 के विधानसभा चुनाव में BJP हार गई। मंदिर के नाम पर राजनीति होती रही, मंदिर बन गया तो भी इस दफा BJP अयोध्या से चुनाव हार गई।
धर्म एक व्यक्तिगत मामला है। धर्म एक मौलिक अधिकार है। हम धर्म की राजनीति का हमेशा विरोध करते रहे हैं।
सवाल 6: आपकी बेटी सना भी NCP के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, परिवारवाद पर आप क्या कहेंगे? खासतौर पर तब जब PM मोदी तकरीबन सभी मंचों से परिवारवाद की राजनीति पर हमला करते हैं? जवाब: कौन क्या बोलता है, इसकी हमें चिंता नहीं है। जनता को तय करना है कि कोई योग्य है या नहीं। अगर बेटी ने काम किया है, उसमें क्षमता है तो जनता स्वीकार करेगी और विधायक बना देगी। मुझे लगता है कि परिवारवाद बोलचाल में एक कॉन्सेप्ट बन गया है। जब बोलने के लिए कुछ नहीं होता है तो लोग इस तरह की बातें करते हैं।
सवाल 7: बेटी सना मलिक के खिलाफ स्वरा भास्कर के पति फहाद अहमद मैदान में हैं, इसे आप कैसे देखते हैं? मुस्लिम वोटों का बिखराव तो नहीं हो जाएगा? जवाब: हमने कभी भी धर्म की राजनीति नहीं की। पहली बार नेहरू नगर से चुनाव जीते, जहां मुसलमान सिर्फ 16% थे। तब भी तीन बार विधायक बना। अणुशक्तिनगर में पहली बार चुनाव लड़े। वहां सिर्फ 18% मुसलमान हैं। तब भी मैं वहां से जीत गया।
मेरे मौजूदा विधासनभा क्षेत्र मानखुर्द शिवाजीनगर में 50 हजार मुसलमान वोट हैं। अगर 50% मतदान हो और हमें 65% वोट मिलें तो क्या हमें सिर्फ मुसलमान वोट मिलेंगे। हम मुसलमान हैं इसलिए हमें वोट दे दो…। हमने ऐसी राजनीति नहीं की। नतीजे आएंगे आपको पता लग जाएगा। उन्हें (फहाद अहमद) तो पता तक नहीं है कि शहर कहां से कहां तक हो गया है। किस जाति, धर्म के लोग कहां रहते हैं। कल तक वह समाजवादी पार्टी में थे। उनका गुरु भी चुनाव हार रहा है और चेला भी हारेगा। (गौरतलब है कि फहाद अहमद अबू आसिम आजमी के करीबी हैं, उनकी पैरवी से ही उन्हें टिकट मिला है।)
सवाल 8: मानखुर्द सीट पर महाविकास अघाड़ी की ओर से सपा ने अबू आजमी को टिकट दिया है, जो यहां 2009 से विधायक हैं। औसतन उन्हें 35% वोट मिलते हैं। वहीं BJP आपको सपोर्ट नहीं कर रही है। ऐसे में इस चुनाव को आप कितना कठिन मानते हैं? जवाब: चुनाव ऑल पार्टी Vs नवाब मलिक है। जनता मुझे पकड़ कर ले गई है। जिस तरह से लोग चुनाव में जुट गए हैं, मुझे लगता है कि इतना आसान चुनाव मैं लड़ा नहीं। एक अलग तरह की वेव है यहां।
सवाल 9: अबू आजमी से गहरी दोस्ती रही है, अब सियासी तौर पर एक दूसरे से निपटने के लिए उतरे हैं। क्या वजह है? कितना मुश्किल है? जबाव: मैं चुनाव लड़ना ही नहीं चाहता था, लेकिन जिस तरह से यहां ड्रग्स का साम्राज्य है, गुंडई बढ़ गई है। जनता का मानना है कि उनकी गुंडई का जवाब मैं ही दे सकता हूं। उनके सारे गलत काम मैं ही रोक सकता हूं।
आप (अबू आजमी) 15 साल सत्ता में रहे, लेकिन आपके दफ्तर में लोग दम मारो दम कर रहे हैं। उसका वीडियो मैंने शेयर भी किया। दम मारो दम का पूरा खेल ही उनके जरिए चल रहा है। उनकी पार्टी के लोग यह खेल खेल रहे हैं। उन्होंने (अबू आजमी) मेरे दामाद (समीर खान) के बारे में बहुत गलत बात कही। जिसका इंतकाल हो गया हो, उसके बारे में कोई ऐसी बात नहीं बोलता।
मेरे दामाद को एक अधिकारी (नॉरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर रहे समीर वानखेड़े की ओर इशारा) ने नाजायज फंसाया था। यह बात दामाद को मिली जमानत के आदेश में दर्ज है। किसी के इंतकाल के बाद मुकदमा खत्म हो जाता है, लेकिन हम लड़ेंगे। जिस अधिकारी ने उसे नाजायज फंसाया था उसकी हैसियत हमने माप दी। आर्यन खान का मामला आया तो हमने डिपार्टमेंट (NCB) की एक-एक चीज को खोलकर रख दिया।
नवाब मलिक तो ड्रग्स और ड्रग्स वालों के खिलाफ लड़ाई लड़ता है, लेकिन आजमी साहब को अब ड्रग्स का डर सताने लगा है। मैं कभी व्यक्तिगत बातें नहीं करता, लेकिन उनके घर में कौन सा व्यक्ति इंटरनेशनल ड्रग माफिया का दाहिना हाथ है, पता लग जाएगा।
सवाल 10: आपका कहना है कि महाराष्ट्र में "नेक-टु-नेक लड़ाई" है। आपके हिसाब से कौन-कौन से फैक्टर महाराष्ट्र के नतीजे तय करेंगे? जवाब: लड़ाई कांटे की है, किसी भी तरफ चीजें जा सकती हैं। अभी दस दिन बाकी हैं। जो ज्यादा मेहनत करेगा वह उम्मीदवार जीतेगा। महाराष्ट्र में किसी एक मुद्दे पर लड़ाई नहीं है। अलग-अलग सीटों पर अलग तरह के मुद्दे हैं। किसानों का मामला था। किसानों की बिजली के बिल माफ हो गए हैं। इसमें कोई शक नहीं कि लाडली बहन योजना बहुत असर डाल रही है।
सवाल 11: अजीत पवार कह चुके हैं कि वे CM बनना चाहते हैं, एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के होते क्या यह मुमकिन है? गणित समझाइए। जवाब: हर पार्टी के कार्यकर्ता चाहते हैं कि उनका नेता मुख्यमंत्री बने। नेता भी चाहते हैं कि वह मुख्यमंत्री बने। कुर्सी की चाहत होना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन नतीजे जो भी आएं, यह तय है कि अजीत पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस के बिना कोई सरकार नहीं बन पाएगी। दादा किंगमेकर होंगे। साल 2019 की तरह इस बार भी नहीं कहा जा सकता कि कौन किसके साथ चला जाएगा।
सवाल 12: शरद पवार और अजित पवार के बीच मतभेद पर आपका क्या रुख है? आपको ऐसा नहीं लगता कि चाचा-भतीजा के अलग-अलग गुटों में बंटी पार्टी का फायदा किसी तीसरे को होगा? जवाब: दादा या पवार एक परिवार के हैं। पार्टी कार्यकर्ता और महाराष्ट्र की जनता चाहती है कि परिवार एक हो जाए। जब तक वे दोनों खुद यह तय नहीं करते, यह मुमकिन नहीं है। लाठी मारने से कभी पानी अलग होता नहीं है। क्या होगा, कैसे होगा, अभी मैं बोल नहीं सकता।
सवाल 13: महाराष्ट्र में अगली सरकार बनाने में निर्दलियों और बागियों की क्या भूमिका देखते हैं? जवाब: महाराष्ट्र में हमेशा से 10-20 लोग ऐसे चुनकर आते हैं। 1989 हो या 1995, उस वक्त निर्दलीय विधायकों की वजह से ही सरकार बनी थी। इस बार भी कांटे की टक्कर है। अगर बहुत अलग तरह की चीजें हो गईं तो निर्दलियों और बागियों के हाथ में भी चीजें जा सकती हैं।
सवाल 14: योगी कह रहे हैं कि बटेंगे तो कटेंगे, मोदी कह रहे हैं कि एक हैं तो सेफ हैं, इन नारों पर क्या कहेंगे? जवाब: धर्म की राजनीति से फायदा होने वाला नहीं। रोटी, शिक्षा, बेरोजगारी, स्वास्थ्य- इस पर राजनीति होनी चाहिए। धार्मिक भावनाओं से राजनीति नहीं चल सकती है। गैर जिम्मेदाराना नारे हैं जिनका हम कभी समर्थन नहीं करते हैं।
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