विकिपीडिया:लेख केरौ नाँव केना रखौं
दिखावट
विकिपीडिया पर नया लेख बनाते समय पहले ये सुनिश्चित कर लें कि इस विषय पर पहले से लेख न हो।
लेख का नाम रखते समय निम्न बातों का ध्यान रखें:-
- लेख के शीर्षक केवल हिन्दी (देवनागरी) में ही रखे जायें। रोमन में शीर्षक बहुत ही विशिष्ट स्थितियों में रखा जाये।
- उर्दू या अन्य विदेशी भाषाओं के शब्दों हेतु जहाँ आवश्यक हो, नुक्ता (नीचे का डॉट) लगाने का ध्यान रखें। अ-भारतीय नामों के लिये लेख के शीर्षक हेतु वह वर्तनी प्रयोग करें जो शुद्ध मानी जाती हो तथा जो वर्तनी अखबारों, सामान्य ज्ञान की पुस्तकों, टीवी चैनलों आदि में सामान्य रुप से प्रचलित हो, उसे शुद्ध नाम पर पुनर्निर्देशित कर दें। उदाहरण के लिये: अमरीका (प्रचलित) को अमेरिका (शुद्ध) पर पुनर्निर्देशित कर दें।
साथ ही लेख का नाम नुक्तायुक्त सही वर्तनी में लिखा जाना चाहिये तथा अ-नुक्ता युक्त अशुद्ध वर्तनी वाले नाम वाला पन्ना सही वर्तनी वाले पन्ने को पुनर्निर्देशित कर दिया जाना चाहिये।
उदाहरण के लिये: उस्ताद बिस्मिल्ला खान (गलत, बिना नुक्ते के) को उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ान (सही, नुक्ता युक्त) पर पुनर्निर्देशित किया जाना चाहिये।
- अंग्रेजी के एक्रोनिम/लघु रूपों हेतु रोमन लिपि में लघु नाम वाले पन्ने बनायें तथा फिर उसे हिन्दी में पूरे नाम पर पुनर्निर्देशित कर दें। उदाहरण के लिये आइपीए को अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला पर रीडायरेक्ट कर दें, यूऍनओ को संयुक्त राष्ट्र संघ पर आदि। दूसरे शब्दो में यदि लेख के शीर्षक का कोई प्रचलित संक्षिप्त नाम (abbreviation) है तो उसे पूरे नाम वाले पन्ने की ओर पुनर्निर्देशित कर देना चाहिये। उदाहरण: आइपीए को अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला पर।
हिन्दी में संक्षिप्त नाम यथा सं० रा० सं० सही नहीं लगता, हालाँकि जब लघुरुप वाला नाम ही मुख्यतया प्रचलित हो तो उस नाम से भी लेख बना सकते हैं जैसे आइआरसी।
लेख के नाम में यदि किसी शब्द का संक्षिप्त रुप लिखना पड़े तो उपयुक्त चिह्न, लाघव चिह्न (०) का उपयोग किया जाना चाहिये, फ़ुलस्टॉप (.) का नहीं। देखें, हिन्दी में सामान्य गलतियाँ#फुलस्टॉप तथा लाघव चिह्न की गलती। उदाहरण: डॉ० राजेन्द्र प्रसाद लिखें, डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद नहीं।
- संक्षिप्त नाम (abbreviation) में संक्षिप्त चिह्न (॰) का प्रयोग एकाधिक शब्द खण्ड होने पर ही करें। एक शब्द खण्ड होने पर बिना संक्षिप्त चिह्न के लिखें। उदाहरण: एक शब्द खण्ड - USB के लिये यूऍसबी लिखें यू॰ ऍस॰ बी॰ नहीं। दो शब्द खण्ड - B.Ed. के लिये बी॰ ऍड॰ लिखें।
- सामान्यतः संस्कृत शब्दों के अन्त में आने वाले हलन्त को छोड़ा जा सकता है अर्थात संसद् के स्थान पर संसद, महान् के स्थान पर महान चल सकता है। हालाँकि लेख का शीर्षक यदि शुद्ध रुप में हलन्त युक्त हो तो वही रखें जैसे रामेश्वरम् एवं बिना हलन्त वाले नाम को हलन्त वाले पर पुनर्निर्देशित कर दें।
- लेख के शीर्षक (नाम) को शुद्ध उच्चारण तथा वर्तनी की दृष्टि से पञ्चमाक्षर में रखा जाय, चाहे वह किसी भी विषय से सम्बंधित हो। खोज तथा पुनर्निर्देशन हेतु आधुनिक वर्तनी वाले नाम को पारम्परिक (शुद्ध) पञ्चमाक्षर वाले शीर्षक पर पुनर्निर्देशित कर देना चाहिये ताकि शुद्ध उच्चारण एवं वर्तनी रहे। उदाहरण के लिये पंडित को पण्डित पर पुनर्निर्देशित किया जाना चाहिये। इसके अतिरिक्त लेख के आरम्भ में कोष्ठक में वैकल्पिक आधुनिक वर्तनी भी देनी चाहिये।
- यदि लेख नाम में विविध वर्तनी सम्भव हो तो सामान्य नाम वाले लेख को शुद्ध वर्तनी वाले लेख की ओर पुनर्निर्देशित कर दें ताकि बाद में भूलवश दोबारा उसी विषय पर अलग लेख न बनाये। उदाहरण के लिये: जगन्नाथ मंदिर को जगन्नाथ मन्दिर पर पुनर्निर्देशित कर दें।
- किसी व्यक्ति के नाम के पहले आदरसूचक "श्री" या बाद में "जी" न लगायें यह अविश्वकोषिक है। "श्री" या "जी" आदि तब ही लगायें यदि वह उस नाम के साथ स्वभावतः जुड़ा हो। उदाहरण: "श्रीकृष्ण", "श्रीराम" परन्तु "श्री शिव" नहीं। उदाहरण: "शिवाजी" परन्तु "अशोक जी" नहीं।
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