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"प्रयागराज": अवतरणों में अंतर

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इलाहाबाद
प्रयाग
नया यमुना सेतु, इलाहाबाद
नया यमुना सेतु, इलाहाबाद
नया यमुना सेतु, इलाहाबाद
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला इलाहाबाद
महापौर अभिलाषा गुप्ता(नंदी)
जनसंख्या 12,15,348[1] (2008 के अनुसार )
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)

• 98 मीटर (322 फी॰)

निर्देशांक: 25°27′N 81°51′E / 25.45°N 81.85°E / 25.45; 81.85 इलाहाबाद ( उर्दू: اللہآباد), जिसे प्रयाग भी कहते हैं, उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक शहर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। शहर का प्राचीन नाम अग्ग्र (संस्कृत) है, अर्थात त्याग स्थल। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। यही सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। इसे 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है।[2]

इलाहाबाद में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय।

भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना(JNNURM) के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है।[3]

नामकरण

शहर का वर्तमान नाम मुगल सम्राट अकबर द्वारा १५८३ में रखा गया था। हिन्दी नाम इलाहाबाद का अर्थ अरबी शब्द इलाह (अकबर द्वारा चलाये गए नये धर्म दीन-ए-इलाही के संदर्भ से, अल्लाह के लिये) एवं फारसी से आबाद (अर्थात बसाया हुआ) – यानि 'ईश्वर द्वारा बसाया गया', या 'ईश्वर का शहर' है।

इतिहास

कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की आनंद भवन, इलाहाबाद में बैठक में महात्मा गांधी, उनके बायीं ओर वल्लभभाई पटेल एवं विजयलक्ष्मी पंडित उनके दायीं ओर, जनवरी, १९४०

प्राचीन काल में शहर को प्रयाग (बहु-यज्ञ स्थल) के नाम से जाना जाता था। ऐसा इसलिये क्योंकि सृष्टि कार्य पूर्ण होने पर सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने प्रथम यज्ञ यहीं किया था, व उसके बाद यहां अनगिनत यज्ञ हुए। भारतवासियों के लिये प्रयाग एवं वर्तमान कौशाम्बी जिले के कुछ भाग यहां के महत्वपूर्ण क्षेत्र रहे हैं। यह क्षेत्र पूर्व से मौर एवं गुप्त साम्राज्य के अंश एवं पश्चिम से कुशान साम्राज्य का अंश रहा है। बाद में ये कन्नौज साम्राज्य में आया। १५२६ में मुगल साम्राज्य के भारत पर पुनराक्रमण के बाद से इलाहाबाद मुगलों के अधीन आया। अकबर ने यहां संगम के घाट पर एक वृहत दुर्ग निर्माण करवाया था। शहर में मराठों के आक्रमण भी होते रहे थे। इसके बाद अंग्रेजों के अधिकार में आ गया। १७६५ में इलाहाबाद के किले में थल-सेना के गैरीसन दुर्ग की स्थापना की थी। १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इलाहाबाद भी सक्रिय रहा।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन यहां दरभंगा किले के विशाल मैदान में १८८८ एवं पुनः १८९२ में हुआ था। [4][5]

१९३१ में इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने ब्रिटिश पुलिस से घिर जाने पर स्वयं को गोली मार कर अपनी न पकड़े जाने की प्रतिज्ञा को सत्य किया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में नेहरु परिवार के पारिवारिक आवास आनन्द भवन एवं स्वराज भवन यहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियों के केन्द्र रहे थे। यहां से हजारों सत्याग्रहियों को जेल भेजा गया था। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु इलाहाबाद निवासी ही थे।

भूगोल

इलाहाबाद के निकटवर्ती क्षेत्र

इलाहाबाद की भौगोलिक स्थिति 25°27′N 81°50′E / 25.45°N 81.84°E / 25.45; 81.84 उत्तर प्रदेश के दक्षिणी भाग में ९८ मीटर (३२२ फ़ीट) पर गंगा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित है। यह क्षेत्र प्राचीन वत्स देश कहलाता था। इसके दक्षिण-पूर्व में बुंदेलखंड क्षेत्र है, उत्तर एवं उत्तर-पूर्व में अवध क्षेत्र एवं इसके पश्चिम में निचला दोआब क्षेत्र। इलाहाबाद भौगोलिक एवं संस्कृतिक दृष्टि, दोनों से ही महत्त्वपूर्ण रहा है। गंगा-जमुनी दोआब क्षेत्र के खास भाग में स्थित ये यमुना नदी का अंतिम पड़ाव है। दोनों नदियों के बीच की दोआब भूमि शेष दोआब क्षेत्र की भांति ही उपजाउ किंतु कम नमी वाली है, जो गेहूं की खेती के लिये उपयुक्त होती है। जिले के गैर-दोआबी क्षेत्र, जो दक्षिणी एवं पूर्वी ओर स्थित हैं, निकटवर्ती बुंदेलखंड एवं बघेलखंड के समान शुष्क एवं पथरीले हैं। भारत की नाभि जबलपुर से निकलने वाली भारतीय अक्षांश रेखा जबलपुर से 343 कि॰मी॰ (1,125,000 फीट) उत्तर में इलाहाबाद से निकलती है।

इलाहाबाद का पुनर्संगठन

इलाहाबाद मंडल एवं जिले में वर्ष २००० में बड़े बदलाव हुए। इलाहाबाद मंडल के इटावा एवं फर्रुखाबाद जिले आगरा मंडल के अधीन कर दिये गए, जबकि कानपुर देहात को कानपुर जिले में से काटकर एक नया कानपुर मंडल सजित कर दिया गया। पश्चिमी इलाहाबाद के भागों को काटकर नया कौशांबी जिला बनाया गया। अब इलाहाबाद मंडल में इलाहाबाद, कौशांबी एवं प्रतापगढ़ एवं फतेहपुर जिले हैं।

जनसांख्यिकी

२००१ की जनगणना के अनुसार इलाहाबाद की वर्तमान जनसंख्या १,०४२,२२९ है। ये भारत में जनसंक्या के अनुसार ३२वें स्थाण पर आता है। [6] इलाहाबाद का क्षेत्रफल लगभग 70 कि॰मी2 (750,000,000 वर्ग फुट)[7] है और ये [[समुद्र की सतह से ऊंचाई|सागर सतह से 98 मी॰ (322 फीट) ऊंचाई पर स्थित है।

हिन्दी-भाषी इलाहाबाद की बोली अवधी है, हालांकि अधिकांश शहरी क्षेत्र में खड़ी बोली ही बोली जाती है। जिले के पूर्वी गैर-दोआबी क्षेत्र में प्रायः बघेली बोली का चलन है।

इलाहाबाद में सभी प्रधान धर्म के लोग निवास करते हैं। यहां हिन्दू कुल जनसंख्या का ८५% और मुस्लिम ११% हैं। इनके अलावा सिख, ईसाई एवं बौद्ध लोगों की भी छोटी संख्या है।

जलवायु

इलाहाबाद
जलवायु सारणी (व्याख्या)
माजूजुसिदि
 
 
19
 
24
9
 
 
16
 
27
11
 
 
9
 
34
17
 
 
6
 
39
23
 
 
10
 
42
27
 
 
85
 
40
29
 
 
300
 
34
26
 
 
308
 
33
26
 
 
190
 
33
25
 
 
40
 
33
21
 
 
12
 
30
14
 
 
3
 
25
9
औसत अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान (°से.)
कुल वर्षा (मि.मी)
स्रोत: IMD

इलाहाबाद में तीन प्रमुख ऋतुएं आती हैं: ग्रीष्म ऋतु, शीत ऋतु एवं वर्षा ऋतु। ग्रीष्मकाल अप्रैल से जून तक चलता है, जिसमें अधिकतम तापमान ४०°से. (१०४ °फै.) से ४५ °से. (११३ °फै.) तक जाता है। मानसून काल आरंभिक जुलाई से सितंबर के अंत तक चलती है। इसके बाद शीतकाल दिसंबर से फरवरी तक रहता है। तापमान यदाकदा ही शून्य तक पहुंचता है। अधिकतम तापमान लगभग २२ °से. (७२ ° फा.) एवं न्यूनतम तापमान १०° से. (५०° फा.) तक पहुंचता है। इलाहाबाद में जनवरी माह में घना कोहरा रहता है, जिसके कारण यातायात एवं यात्राओं में अत्यधिक विलंब भी हो जाते हैं। किंतु यहां हिमपात कभी नहीं होता है।

न्यूनतम अंकित तापमान, -२ °से. (२८.४ °फै.) एवं अधिकतम ४८ °से. (११८ °फै.) ४८ °से.[8] तक पहुंचा है।

नागर प्रशासन

इलाहाबाद नगर निगम, राज्य के प्राचीनतम नगर निगमों में से एक है। निगम १८६४ में अस्तित्त्व में आया था[7], जब तत्कालीन भारत सरकार द्वारा लखनऊ म्युनिसिपल अधिनियम पास किया गया था। नगर के म्युनिसिपल क्षेत्र को कुल ८० वार्डों में विभाजित किया गया है व प्रत्येक वार्ड से एक सदस्य (कार्पोरेटर) चुनकर नगर परिषद का गठन किया जाता है। [9]. ये कॉर्पोरेटर शहर के महापौर को चुनते हैं। राज्य सरकार द्वारा चुने गए मुख्य कार्यपालक को इलाहाबाद का आयुक्त (कमिश्नर) नियुक्त किया जाटा है।

शहर

इलाहाबाद गंगा-यमुना नदियों के संगम पर स्थित है। ये एक भू-स्थित प्रायद्वीप रूप में देखा जा सकता है जिसे तीन ओर से नदियों ने घेर रखा है एवं मात्र एक ओर ही मुख्य भूमि से जुड़ा है। इस कारण ही शहर के भीतर व बाहर बढ़ते यातायात परिवहन हेतु अनेक सेतुओं द्वारा गंगा व यमुना नदियों के पार जाते हैं।

इलाहाबाद का शहरी क्षेत्र तीन भागों एं वर्गीकृत किया जा सकता है: चौक , कटरा पुराना शहर जो शहर का आर्थिक केन्द्र रहा है। यह शहर का सबसे घना क्षेत्र है, जहां भीड़-भाड़ वाली सड़कें यातायात व बाजारों का कां देती हैं। नया शहर जो सिविल लाइंस क्षेत्र के निकट स्थित है; ब्रिटिश काल में स्थापित किया गया था। यह भली-भांति सुनियोजित क्षेत्र ग्रिड-आयरन रोड पैटर्न पर बना है, जिसमें अतिरिक्त कर्णरेखीय सड़कें इसे दक्ष बनाती हैं। यह अपेक्षाकृत कम घनत्व वाला क्षेत्र हैजिसके मार्गों पर वृक्षों की कतारें हैं। यहां प्रधान शैक्षिक संस्थान, उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग कार्यालय, अन्य कार्यालय, उद्यान एवं छावनी क्षेत्र हैं। यहां आधुनिक शॉपिंग मॉल एवं मल्टीप्लेक्स बने हैं, जिनमें निम्नलिखित मुख्य हैं-

अन्य पाँच माँल पर काम चल रहा हैं। बाहरी क्षेत्र में शहर से गुजरने वाले मुख्य राजमार्गों पर स्थापित सैटेलाइट टाउन हैं। इनमें गंगा-पार (ट्रांस-गैन्जेस) एवं यमुना पार (ट्रांस-यमुना) क्षेत्र आते हैं। विभिन्न रियल-एस्टेट बिल्डर इलाहाबाद में निवेश कर रहे हैं, जिनमें ओमेक्स लि. प्रमुख हैं। नैनी सैटेलाइट टाउन में १५३५ एकड़ की हाई-टेक सिटी बन रही है।

शॉपिंग मॉल

  • सलासर शॉपिंग मॉल,


  • बिग बाजार शॉपिंग मॉल,


  • अटलांटिस शॉपिंग मॉल,


  • विशाल मेगा मार्ट शॉपिंग मॉल,


  • एन मार्ट शॉपिंग मॉल,


  • तुलसीयानी प्लाजा शॉपिंग मॉल,


  • रिज्वी प्लाजा शॉपिंग मॉल,
  • विनायक सेन्टर प्लाजा शॉपिंग मॉल,


  • विनायक काँम्पलेक्स शॉपिंग मॉल,


  • विनायक सिटी सेंटर शॉपिंग मॉल ,


  • विनायक सिटी इसक्वायर शॉपिंग मॉल , (2014)


  • आँमेक्स संगम सिटी शॉपिंग मॉल , (2015)


  • आँमेक्स वाटरफ्रोन्ट शॉपिंग मॉल , (2015)

अस्पताल

इलाहाबाद शहर में कई बडे सरकारी अस्पताल हैं

  • स्वरुप रानी नेहरु अस्पताल,
  • मोतीलाल नेहरु अस्पताल
  • कमला नेहरु अस्पताल
  • जीवन ज्योति अस्पताल
  • श्रीजन अस्पताल,
  • नाजरथ अस्पताल,
  • सिटी अस्पताल,
  • भोला अस्पताल,
  • पार्वती अस्पताल,
  • कमला मेमोरियल अस्पताल,
  • उत्तर मध्य रेलवे अस्पताल,
  • तेजबहादूर सप्रू अस्पताल,
  • वातसल्य अस्पताल,
  • अमभोला अस्पताल,
  • अल्का अस्पताल,
  • चिल्ड्रेन अस्पताल,

होटल

इलाहाबाद मेँ सभी वगोँ के लिए हेतु बडे होटल ,धर्मशालाएँ व गेस्ट हाउस इत्यादि हैं । इनमे से कुछ प्रमुख होटल का विवरण दिया जा रहा हैं ।

  • होटल कान्हाश्याम
  • इलाहाबाद रीजेन्सी होटल
  • हर्ष होटल
  • ग्रैण्ड कान्टीनेन्टल होटल
  • सम्राट होटल
  • मिलऩ होटल
  • एन सी कान्टीनेन्टल होटल
  • एन सी होटल
  • यात्रिक होटल
  • सूर्या होटल
  • कोको होटल
  • फिनारे होटल
  • कल्पतरु होटल
  • कोहिनूर होटल
  • प्रसीडेन्सी होटल
  • रेजीना होटल
  • प्रयाग होटल
  • काशी होटल
  • संगम होटल
  • कामधेनू होटल

शॉपिंग मॉल

  • सलासर शॉपिंग मॉल,
  • बिग बाजार शॉपिंग मॉल,
  • अटलांटिस शॉपिंग मॉल,
  • विशाल मेगा मार्ट शॉपिंग मॉल,
  • तुलसीयानी प्लाजा शॉपिंग मॉल,
  • विनायक सेन्टर प्लाजा शॉपिंग मॉल,
  • विनायक काँम्पलेक्स शॉपिंग मॉल,
  • विनायक सिटी सेंटर शॉपिंग मॉल ,

अस्पताल

इलाहाबाद शहर में कई बडे सरकारी अस्पताल हैं

  • स्वरुप रानी नेहरु अस्पताल,
  • मोतीलाल नेहरु अस्पताल
  • कमला नेहरु अस्पताल
  • जीवन ज्योति अस्पताल
  • श्रीजन अस्पताल,
  • नाजरथ अस्पताल,
  • सिटी अस्पताल,
  • भोला अस्पताल,
  • पार्वती अस्पताल,


मल्टीप्लेक्स

  • पीवीआर सिनेमा मल्टीप्लेक्स,
  • अटलान्टिस प्राइवेट मल्टीप्लेक्स,
  • चन्द्रलोक सिनेमा,
  • बिग सिनेमा,
  • अवतार सिनेमा,
  • काजल सिनेमा,
  • विश्वामित्र सिनेमा,
  • पैलेस सिनेमा ,

होटल

इलाहाबाद मेँ सभी वगोँ के लिए हेतु बडे होटल ,धर्मशालाएँ व गेस्ट हाउस इत्यादि हैं । इनमे से कुछ प्रमुख होटल का विवरण दिया जा रहा हैं ।

  • होटल कान्हाश्याम
  • इलाहाबाद रीजेन्सी होटल
  • हर्ष होटल
  • ग्रैण्ड कान्टीनेन्टल होटल
  • सम्राट होटल
  • मिलऩ होटल
  • एन सी कान्टीनेन्टल होटल
  • एन सी होटल
  • यात्रिक होटल
  • सूर्या होटल
  • कोको होटल
  • फिनारे होटल
  • कल्पतरु होटल
  • कोहिनूर होटल
  • प्रसीडेन्सी होटल
  • रेजीना होटल

ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल

यहाँ कई क्रीड़ा परिसर हैं, जिनका उपयोग व्यावसायिक एवं अव्यवसायी खिलाड़ी करते रहे हैं। इनमें मदन मोहन मालवीय क्रिकेट स्टेडियम, मेयो हॉल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स एवं बॉयज़ हाई स्कूल एवं कॉलिज जिम्नेज़ियम हैं। जॉर्जटाउन में एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का तरणताल परिसर भी है। झालवा (इलाहाबाद पश्चिम) में नेशनल स्पोर्ट्स एकैडमी है, जहां विश्व स्तर के जिमनास्ट अभ्यासरत रहते हैं। अकादमी को आगामी राष्ट्रमंडल खेलों के लिये भारतीय जिमनास्ट हेतु आधिकारिक ध्वजधारक चुना गया है।

संगम


मध्यकालीन इतिहासकार बदायूनी के अनुसार 1575 मे सम्राट अकबर ने प्रयाग की यात्रा की और एक शाही शहर इलाहाबाद की स्थापना की 1583 मे अकबर ने इलाहाबाद मे गंगा और यमुना के संगम पर एक किले का निर्माण प्रारम्म करवाया । यह किला चार भागो मे बनवाया गया ।पहले हिस्से में 12 भवन एवं कुछ बगीचे बनवाये गयें। दूसरे हिस्से में बेगमोँ और शहजादियों के लिऐ महलो का निर्माण करवाया गया । तीसरा हिस्सा शाही परिवार के दूर के रिश्तेदारों और नैकरों के लिऐ बनवाया गया और चौथा हिस्सा सैनिको के लिये बनवाया गया ।इस किले में 93 महर, 3 झरोखा,25 दरवाजें, 277 इमारतें ,176 कोठियाँ 77 तहखानें व 20 अस्तबल और 5 कुएं हैं ।



यह किला झूसी मेँ स्थित हैँ।


इस ऐतिहासिक इमारत का निर्माण मोतीलाल नेहरू ने करवाया था। 1930 में उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था।


मोतीलाल नेहरु ने इसकी नींव 1926 रखी। वास्तुकला की द्ष्टि से यह भवन अपने आप मे अनोखा हैं। यह दो मंजिली इमारत हैं आनन्द भवन भारतीय स्वाधीनता संघर्ष की एक ऐतिहासिक यादगार हैं और ब्रिटिश शासन के विरोध में किये गये अनेक विरोधोँ, कांग्रेस के अधिवेशनोँ एवं राष्टीय नेताओँ के अनेक सम्मेलनोँ से इसका सम्बन्ध रहा हैं । महात्मा गाँधी जब कभी इलाहाबाद आते थे तो यही रहते थें । आज भी यहाँ गाधी जी के अनेक वस्तुएँ रखीं हैं ।आनन्द भवन मात्र राजनैतिक विचार विमर्श का केन्द्र ही नहीं , व्यक्तियोँ को राजनिति का भी केन्द्र हैं खान अब्दुल खाँ , जे बी कृपलानी , लाल बहादुर शास्त्री , राम मनोहर लोहिया और फिरोज गाँधी जैसे नेता जिन्होँने न मात्र स्वाधीनता संघर्ष मे अपिलु स्वाधीन भारत की राजनीति को नया मोड दिया, यही स्थल आनन्द भवन ही हैं । 1942 इन्दिरा गाँधी का विवाह इसी भवन में हुआ और 1938 मे जवाहरलाल नेहरु की मां स्वरुप रानी की मृयु भी यहीं हुयी । 1970 में इन्दिरा गाँधी ने इस भवन को राष्ट्र को समर्पित कर दिया और इसके बाद इसे एक संग्रहालय का स्वरुप दे दिया गया । इसके खुलने का समय प्रात: 9.30 से सांय 5 बजे तक हैं। साप्ताहिक अवकाश सोमकार को रहता हैं।


अंग्रेजोँ द्रारा शहर के बीचोँ बीच बसाया गया यह एक अनोखा बाग हैं । शायद हा किसी शहर के बीचों बीच इतना बडा पार्क मिले । इसकी विशालता का अनुमान लगाया जा सकता हैं कि इस बाग के अन्दर एक स्टेडियम, एक म्यूजियम,एक पुस्तकालय ,तीन नसरियाँ, एक विश्वविघालय और प्रयाग संगीत समिति भी स्थित हैं



कम्पनी बाग के बीचो बीच सफेद संगमरमर का बना एक स्मारक हैं । इस मेमोरियल के आस पास के नितान्त सुन्दर पार्क है जो सदैव हरी घास से ढका रहता है।


इलाहाबाद उच्च न्यायालय भारत का ही नही एशिया का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय है, यहॉं पर 95 न्यायाधीशो की क्षमता है।



इस विशाल बाग में अमीर खुसरो, उसकी बहन और उसकी राजपूत मां का मकबरा स्थित है।



यह पार्क महान स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद को समर्पित है।



किले के अन्दर यह मंदिर भूगर्भ मेँ स्थित हैं । और अछयवट इस मन्दिर के अन्दर ही हैं । यह मंदिर अत्यन्त ही प्राचिन हैं । ऐसा विश्वास किया जाता हैँ । कि भगवान राम ने इस मन्दिर कि यात्रा की थी ।



अकबर की राजपूत पत्नी जोधाबाई का महर जो रानी महल के नाम से जाना जाता हैं । यह महल किले मे स्थित हैं ।

शहर के सिविल लाइन मे स्थित यह चर्च पत्थर गिरजाघर के नाम से प्रसिद्द है ।इस चर्च को देखने से प्रतित होता हैं । कि मानोँ हम किसी रोमन साम्राज्य का राजग्रिह देख रहे हैं । 1879 मेँ बन कर तैयार हूये इस चर्च का नक्शा सुप्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुविद विलियन इमरसन ने बनवाया था । यह चर्च चौराहे के बिचो बिच स्थित हैं ।

दर्शनीय धार्मिक स्थल

संगम इलाहाबाद गंगा यमुना और सरस्वती के संगम पर स्थित हैं ।चूकि यहाँ तीन नदियाँ आकर मिलती हैं ।अत: इस स्थान को त्रिवेणी के नाम से भी संबोधित किया जाता हैं । संगम का द्रश्य अत्यन्त मनोरम हैं । स्वेत गंगा और हरित यमुना अपने मिलने के स्थान पर स्पष्ट भेद बनाए रखती हैं अर्थात मात्र द्रिष्टिपात करने से ही यह बताया जा सकता हैं । कि यह गंगा नदी हैं और यह यमुना । हिमालय की गोद से निकल कर प्रयाग तक आते आते गंगा गुम्फिद नदी मे बदल जाती हैं परन्तु यमुना के मिलने के उपरान्त इनमे पुन: अथाह जल हो जाता हैं ।

हनुमान मंदिर, इलाहाबाद

संगम के निकट स्थित यह एक अद्भुत एवं अपने प्रकार का अनोखा मन्दिर हैं इस मन्दिर मे हनुमान जी की लेटी हुयी प्रतिमा हैं ।और उनके दर्शनार्थ लोगोँ को सीढियोँ से उतर कर नीचे जाना पडता हैं ।यह प्रतिमा अत्यन्त विशाल एवं भव्य हैं । ऐसा विश्वास किया जाता हैं कि अंग्रजी शासन ने इस मंदिर को यहाँ से हटवाने के आदेश दिये किन्तु जैसे जैसे मूर्ति को हटाने के लिये खुदाई की जाने लगी वैसे वैसे मुर्ति बाहर आने के बजाय अन्दर धसती गयी । यही कारण हैं कि यह मंदिर गड्ढे में हैं ।

शंकर विमान मण्डपम्

गंगा के तट पर स्थित यह एक आधुनिक मन्दिर हैं । यह मन्दिर चार मंजिलोँ का हैं ।इस मन्दिर की कुल ऊँचाई लगभग 40 मीटर अर्थात 130 फिट हैं । इसकी प्रत्येक मंजिल पर अलग अलग देवताओँ का वास स्थान हैं ।

हनुमत् निकेतन

यह मन्दिर सिविल लाइन में स्थित हैं यह एक आधुनिक मन्दिर हैं । जो मुख्य रुप से हनुमान जी को समर्पित हैं ।

किले के भीतर स्थित इस पवित्र कू के विषय में विश्वास किया जाता हैं । कि यही अद्रश्य सरस्वती नदी का स्त्रोत हैं ।

यमुना के तट पर स्थित इस मन्दिर का धार्मिक महत्व अत्यधिक हैं । इस मन्दिर से चबूतरे से यमुना का नजारा अत्यन्त ही मनोहर हैं ।इस मन्दिर की विशेषता यहाँ प्रतिदिन लोने वाला श्र्रगांर एवं भगवान शिव की दिव्य आरती हैं ।

गंगा नदी के किनार स्थित शिवकुटी भगवान शिव को समर्पित है।

आनन्द भवन के सामने स्थित एक मन्दिर हैं । यही भगवान राम के वन गमन काल में महर्षि भारद्वाज का आश्रम हुआ करता था । यह आश्रम संत भारद्वाज से संबंधित है। और जब इसी संगम से आगे बडकर गंगा शिवजी की नगरी काशी मे पहुँचती हैं तो यह जल से लभालब भरी रहती हैं ।यमुना यमुनोत्री की निर्मल धारा लेकर मथुरा मेँ क्रिष्ण की लीलाओँ को रुप देकर और आगरे मे ताजमहल को नहला कर प्रयाग मेँ गंगा मे विलिन हो जाती हैं ।प्रत्येक वर्ष के जनवरी फरवरी मेँ इसकी महत्ता कई गुना बड जाती हैं । इस मेले मे करोडोँ लोग संगम के पावन जल मेँ डुबकी लगा कर पुण्य के भागीदार बनते हैं । कल्पवासी संगम के तट पर टेन्ट के बने घरोँ मेँ निवास करते हैं ।

अन्य दर्शनीय स्थल

आनंद भवन के बगल में स्थित इस प्लेनेटेरियम में खगोलीय और वैज्ञानिक जानकारी हासिल करने के लिए जाया जा सकता है।

कम्पनी बाग के अन्दर सन् 1931 में एक सग्रहालय का निर्माण करवाया गया था । इस सग्रहालय मे भारत के प्राचीन इतिहास से सम्बन्धित अनेक वस्तुएँ रखीँ हुयीं हैं ।

कम्पनी बाग के अन्दर एक पब्लिक लाइब्रेरी स्थिय हैं इसकी इमारत अंग्रजी शासन के समय की हैं। एवं बडी शानदार हैं।

अरैल यमुना के तट स्थित यह एक भव्य स्थल हैं। यह सबसे सुन्दर स्थान हैं।

सफेद पत्थर के इस मैमोरियल पार्क में सरस्वती घाट के निकट सबसे ऊंचे शिखर पर चार सिंहों के निशान हैं।

यह एक आधुनिक पार्क हैं। यह पार्क मैक्फरसन झील के आस पास के स्थान का सौँदर्यीकरण करके बनाया गया हैं। यहा पर बोँटिक करने की सुविधा हैं।

यह पार्क भी एक भ्रमण करने योग्य स्थान हैं। इसे बडे ही सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाया गया हैं ।

चन्द्रशेखर पार्क के पास स्थित हैं। इसमे पत्थर का एक बडा हाथी बच्चोँ के मुख्य आकर्षण का केन्द्र हैं। यह स्थान बच्चोँ के घुमने के लिये हैं ।

कुंभ मेला

  • पौराणिक कथाएँ

कुंभ पर्व के आयोजन को लेकर दो-तीन पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं जिनमें से सर्वाधिक मान्य कथा देव-दानवों द्वारा समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत कुंभ से अमृत बूँदें गिरने को लेकर है। इस कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के शाप के कारण जब इंद्र और अन्य देवता कमजोर हो गए तो दैत्यों ने देवताओं पर आक्रमण कर उन्हें परास्त कर दिया। तब सब देवता मिलकर भगवान विष्णु के पास गए और उन्हे सारा वृतान्त सुनाया। तब भगवान विष्णु ने उन्हे दैत्यों के साथ मिलकर क्षीरसागर का मंथन करके अमृत निकालने की सलाह दी। भगवान विष्णु के ऐसा कहने पर संपूर्ण देवता दैत्यों के साथ संधि करके अमृत निकालने के यत्न में लग गए। अमृत कुंभ के निकलते ही देवताओं के इशारे से इंद्रपुत्र 'जयंत' अमृत-कलश को लेकर आकाश में उड़ गया। उसके बाद दैत्यगुरु शुक्राचार्य के आदेशानुसार दैत्यों ने अमृत को वापस लेने के लिए जयंत का पीछा किया और घोर परिश्रम के बाद उन्होंने बीच रास्ते में ही जयंत को पकड़ा। तत्पश्चात अमृत कलश पर अधिकार जमाने के लिए देव-दानवों में बारह दिन तक अविराम युद्ध होता रहा। इस परस्पर मारकाट के दौरान पृथ्वी के चार स्थानों (प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक) पर कलश से अमृत बूँदें गिरी थीं। उस समय चंद्रमा ने घट से प्रस्रवण होने से, सूर्य ने घट फूटने से, गुरु ने दैत्यों के अपहरण से एवं शनि ने देवेन्द्र के भय से घट की रक्षा की। कलह शांत करने के लिए भगवान ने मोहिनी रूप धारण कर यथाधिकार सबको अमृत बाँटकर पिला दिया। इस प्रकार देव-दानव युद्ध का अंत किया गया। अमृत प्राप्ति के लिए देव-दानवों में परस्पर बारह दिन तक निरंतर युद्ध हुआ था। देवताओं के बारह दिन मनुष्यों के बारह वर्ष के तुल्य होते हैं। अतएव कुंभ भी बारह होते हैं। उनमें से चार कुंभ पृथ्वी पर होते हैं और शेष आठ कुंभ देवलोक में होते हैं, जिन्हें देवगण ही प्राप्त कर सकते हैं, मनुष्यों की वहाँ पहुँच नहीं है।

जिस समय में चंद्रादिकों ने कलश की रक्षा की थी, उस समय की वर्तमान राशियों पर रक्षा करने वाले चंद्र-सूर्यादिक ग्रह जब आते हैं, उस समय कुंभ का योग होता है अर्थात जिस वर्ष, जिस राशि पर सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति का संयोग होता है, उसी वर्ष, उसी राशि के योग में, जहाँ-जहाँ अमृत बूँद गिरी थी, वहाँ-वहाँ कुंभ पर्व होता है।

महाकुंभ 2013

घाट

इलाहाबाद में पक्के घाट हैं। जो क्रमश: हैं ।

यमुना के तट स्थित यह एक नवनिर्मित रमणीय स्थल हैं। तीन ओर से सीढियाँ यमुना के हरे जल तक उतर कर जाती हैं । और उपर एक पार्क हैं जो सदैव हरी घास से ढका रहता हैं । यहा पर बोँटिग करने की भी सुविधा हैं ।यहाँ से नाव द्रारा संगम पहुचने का भी मार्ग हैं ।

  • अरैल घाट

यह इलाहाबाद का सबसे बडा घाट है और यह सबसे आधुनिक घाट हैं ।यह एक भव्य स्थान हैं और टहलने का सबसे अच्छा स्थान हैं । यह एक दशर्नीय स्थल हैं । यहा पर बोँटिग करने की भी सुविधा हैं यहा पर स्नानार्थियोँ के लिये सिटिँग प्लाजा भी हैं ।

  • संगम घाट
  • बलुआ घाट
  • बरगद घाट
  • बोट क्लब घाट
  • रसूलाबाद घाट
  • छतनाग घाट
  • शंकर घाट
  • दशाश्वमेघ घाट
  • गऊ घाट


  • किला घाट
  • नेहरु घाट

सौ से अधिक कच्चे घाटे हैँ।

शिक्षा

इलाहाबाद प्राचीन काल से ही शैक्षणिक नगर के रुप मे प्रसिद्ध है। इलाहाबाद केवल गंगा और यमुना जैसी दो पवित्र नदियो का ही संगम नही, अपितु आध्यात्म के साथ शिक्षा का भी संगम है, जैहा भारत के सभी राज्यो से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है, जँहा से अनेकानेक विद्वान ने शिक्षा ग्रहण कर देश व समाज के अनेक भागो मे अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । इलाहाबाद विश्वविद्यालय को पूर्व का आक्सफोर्ड ("Oxford of the East") भी कहा जाता है । इलाहाबाद मे कई विश्वविद्यालय, शिक्षा परिषद, इन्जीनिरिंग कालेज, मेडिकल कालेज तथा मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र मे उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे है।

इलाहाबाद मे स्थापित विश्वविद्यालय के नाम इस प्रकार निम्नलिखित है-

  1. इलाहाबाद विश्वविद्यालय
  2. मोतीलाल नेहरु नेशनल इन्स्टीट्यूट आफ् टेक्नोलोजी
  3. उत्तर प्रदेश राज‍षिँ टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय
  4. इलाहाबाद एग्रीकल्चर संस्थान (मानित विश्वविद्यालय)-(AAI-DU)
  5. नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय, जमुनीपुर कोटवा

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इलाहाबाद मे हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग संगीत समिति आदि अनेक विख्यात कला संस्थान है। इलाहाबाद मे कई इन्जीनिरिंग कालेज, मेडिकल कालेज हैं ।

  • अभियांत्रिकी महाविद्यालय

चिकित्सा महाविद्यालय

अन्य

उद्योग

इलाहाबाद में शीशा और तार कारखाने काफी हैं। यहां केमुख्य औद्योगिक क्षेत्र हैं नैनी और फूलपुर, जहां कई सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों की इकाइयां, कार्यालय और निर्माणियां स्थापित हैं। इनमें अरेवा टी एण्ड डी इण्डिया (बहुराष्ट्रीय अरेवा समूह का एक प्रभाग), भारत पंप्स एण्ड कंप्रेसर्स लि. यानी बीपीसीएल) जिसे जल्दी ही मिनिरत्न घोषित किया जाने वाला है, इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज (आई.टी.आई), रिलायंस इंडस्ट्रीज़-इलाहाबाद निर्माण प्रखंड, हिन्दुस्तान केबल्स, त्रिवेणी स्ट्रक्चरल्स लि. (टी.एस.एल. भारत यंत्र निगम की एक गौण इकाई), शीशा कारखाना, इत्यादि। बैद्यनाथ की नैनी में एक निर्माणी स्थापित है, जिनमें कई कुटीर उद्योग जैसे रसायन, पॉलीयेस्टर, ऊनी वस्त्र, नल, पाईप्स, टॉर्च, कागज, घी, माचिस, साबुन, चीनी, साइकिल एवं पर्फ़्यूम आदि निर्माण होते हैं। इंडीयन फार्मर्स फर्टिलाइजर्स को-ऑपरेटिव इफको फूलपुर क्षेत्र में स्थापित है। यहाम इफको की दो इकाइयां हैं, जिनमें विश्व का सबसे बड़ा नैफ्था आधारित खाद निर्माण परिसर स्थापित है। इलाहाबाद में पॉल्ट्री और कांच उद्योग भी बढ़ता हुआ है। राहत इंडस्ट्रीज़ का नूरानी तेल, काफी अच्छा और पुराना दर्दनिवारक तैल है, जिसकी निर्माणी नैनी में स्थापित है। तीन विद्युत परियोजनाएं मेजा, बारा और कर्चना तहसीलों में जेपी समूह एवं नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन द्वारा तैयार की जा रही हैं।

क्रीड़ा

इलाहाबाद का भारतीय जिम्नास्टिक्स में प्रमुख स्थान है। यहां की टीम सार्क और एशियाई देशों में अग्रणी रही है। झालवा में खेलगांव पब्लिक स्कूल जिम्नास्टिक्स का प्रशिक्षण उपलब्ध कराटा है। यहां के जिम्नास्ट्स को ३३वें ट्यूलिट पीटर स्मारक कप-२००७, हंगरी में २ स्वर्ण पदक मिले हैं। हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद का जन्म भी इलाहाबाद में ही २९ अगस्त, १९०६ को हुआ था। उन्होंने तीन लगातार ऑलंपिक खेलों में एम्स्टर्डैम (१९२८), लॉस एंजिलिस (१९३२) और बर्लिन (१९३६) में तीन स्वर्ण पदक प्राप्त किये थे। मोहम्मद कैफ, भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी यहीं के हैं। अभिन्न श्याम गुप्ता भी एक उभरते हुए बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने २००२ में राष्ट्रीय पदक प्राप्त किया था।

परिवहन

रज्जु-आधारित चार-लेन का सेतु इलाहाबाद में यमुना नदी पर भारत के सबसे बड़े निर्माणों में से एक हैं।
  • वायु

वायु सेवा का विकास इलाहाबाद मे पर्याप्त रुप से नहीँ होँ पाया हैं। फिर भी यहाँ के बम्हरौली हवाई अड्डे से दिल्ली एवं कलकत्ता के लिये उडाने हैं । निकटवर्ती ब्ड़े विमानक्षेत्रों में वाराणसी विमानक्षेत्र 142 कि॰मी॰ (466,000 फीट)) एवं लखनऊ (अमौसी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र 210 कि॰मी॰ (690,000 फीट) हैं।

  • जलमार्ग

इलाहाबाद में जलमार्ग का विकास अभी अपनी प्रारम्भिक अवस्था में हैं 22 अक्टूबर 1986 ई, राष्ट्रिय जलमार्ग एक , जो कि इलाहाबाद से हल्दिया ( पं बंगाल ) 1620 KM तक हैं।

  • सड़क

इलाहाबाद दिल्ली-कोलकाता मार्ग के बीच स्थित है। स्वर्ण चतुर्भुज के मार्गों में से एक,

राष्ट्रीय राजमार्ग २ यह मार्ग दिल्ली और कोलकाता के लिये

राष्ट्रीय राजमार्ग ९६ राष्ट्रीय राजमार्ग २८ से फैजाबाद से जोड़ता है।

राष्ट्रीय राजमार्ग 24B लखनऊ से जोडता हैं

राष्ट्रीय राजमार्ग 76 झाँसी से जोडता हैं ।

राष्ट्रीय राजमार्ग 76E यह मार्ग मिर्जापुर जिला से जोडता हैं।

राष्ट्रीय राजमार्ग २७ 93 कि॰मी॰ (305,000 फीट) लंबा है और इसे मध्य प्रदेश में मंगवान में राष्ट्रीय राजमार्ग ७ से जोड़ता है।

विश्व बैंक द्वारा वित्त-पोषित ८४.७ कि.मी. लंबा बायपास मार्ग इलाहाबाद एक्सप्रेसवे हाइवे है। [10] इसके द्वारा न केवल राजमार्गों का यातायात ही सुलभ होगा, बल्कि शहर के हृदय से गुजरने वाला यातायात भी हल्का होगा। अन्य कई राज्य-राजमार्ग शहर को देश के अन्य भागों से जोड़ते हैं।

इलाहाबाद से कुछ महत्वपूर्ण स्थलो की दूरी इस प्रकार हैं -

अयोध्या 167 किमी,


चित्रकूट 167 किमी,


आगरा 433 किमी,


अहमदाबाद 1207 किमी,


दिल्ली 643 किमी,


भोपाल 680 किमी,


मुम्बई 1444 किमी,


कोलकाता 799 किमी,


हैदराबाद 1080 किमी,


जयपुर 673 किमी,


झांसी 375 किमी,


लखनऊ 204 किमी,


वाराणसी 120 किमी,


कानपुर 202 किमी,


  • बस अड्डे

इलाहाबाद में राज्य परिवन निगम के तीन डिपो (बस-अड्डे) हैं

1. लीडर रोड (बस अड्डा)- यहाँ से कानपुर, आगरा व दिल्ली हेतु बसे उपलब्ध हैं।

2. सिविल लाईन्स (बस अड्डा)- यहाँ से लखनऊ फैजाबाद गोरखपुर आदि के लिये बसे उपलब्ध हैं।

3. जीरो रोड (बस अड्डा)-

यहाँ से रिवा सतना खजुराहो आदि के लिये बसे उपलब्ध हैं। और झूसी डिपोँ ,नैनी डिपोँ फाफामऊ डिपोँ बस स्टैँड सिविल लाइंस और जीरो रोड पर जो विभिन्न मार्गों पर बस-सेवा सुलभ कराते हैं। दोनों नदियों पर बड़ी संख्या में बने सेतु शहर को अपने उपनगरों जैसे नैनी, झूसी फाफामउ आदि से जोड़ते हैं। नया आठ-लेन नियंत्रित एक्स्प्रेसवे- गंगा एक्स्प्रेसवे इलाहाबाद से गुजरना प्रस्तावित है।[11] इलाहाबाद जिले में एक नयी ८-लेन मुद्रिका मार्ग सड़क भी प्रतावित है। स्थानीय यातायात हेतु नगर बस सेवा, ऑटोरिक्शा, रिक्शॉ एवं टेम्पो उपलब्ध हैं। इनमें से सबसे सुविधाजनक साधन साइकिल रिक्शा है। [[चित्र:Rail Station, Allahabad.jpg|right|thumb|इलाहाबाद रेलवे स्टेशन ]]

  • रेलसेवा

भारतीय रेल द्वारा जुड़ा हुआ, इलाहाबाद जंक्शन उत्तर मध्य रेलवे का मुख्यालय है। ये अन्य प्रधान शहरों जैसे कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, छपरा, पटना, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, बंगलुरु एवं जयपुर से भली भांति जुड़ा हुआ है।

शहर में दस रेलवे-स्टेशन हैं:


इलाहाबाद के उल्लेखनीय व्यक्ति

इलाहाबाद भारत के १४ प्रधानमंत्रियों में से ७ से संबंधित रहा है: जवाहर लाल नेहरु, लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, गुलजारी लाल नंदा एवं विश्वनाथ प्रताप सिंह; जो या तो यहां जन्में हैं, या इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़े हैं या इलाहाबाद निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए हैं।[12]

चित्रदीर्घा

Allahabad Junction

संदर्भ

13. " माँ गंगा " - Allahabad (संगम नगरी - प्रयाग )

बाहरी कड़ियाँ

  1. अनुप्रेषित साँचा:प्रयागराज