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ऍसआइवी

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ऍसआइवी से प्रभावित एक बन्दर की डिजिटल तस्वीर

ऍसआइवी (बंदरों का ऍचआइवी), रोग-प्रतिरक्षा एक ऐसा विषाणु है जोकि अफ्रीकी हरे बंदरों की रोग-प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रहार करता है और उनकी संक्रमणों के प्रति शरीर की क्षमता और प्रतिरोध को कम करता है। इसे अफ्रीकी हरे बंदरों के वायरस के रूप में भी जाना जाता है। एक अनुमान के मुताबिक़ अफ्रीकी पुर्वप्रजाती के कम से कम 33 प्रजातियों को संक्रमित करने में सक्षम वायरस है।[1] बिओको द्वीप से बंदरों की चार प्रजातियों में पाया उपभेदों के विश्लेषण के आधार पर, जो मुख्य भूमि से पहले 11,000 साल के बारे में बढ़ती समुद्र स्तर के कारण अलग-थलग पड़ गया, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि ऍसआइवी बंदरों और वानर में कम से कम 32,000 वर्षों से मौजूद के लिए किया गया है और शायद इससे से भी लम्बे समय से चल रहा है।[2]

इन्ही अग्रेणी प्रजातियों में से दो, सूटी मंगबेय में मौजूद ऍसआइवी-एमएम और चिम्पंजी में मौजूद ऍसआइवी-सिपिजेड समझा जाता है कि मनुष्यों में प्रवेश करके एचआईवी 2 और एचआईवी -1 का रूप ले चुके हैं। माना जाता है कि एचआईवी -1 के मनुष्य में प्रसारण की सबसे अधिक संभावना इसी से है कि अफ्रीका के चिम्पंजी का रक्त है जिनका खाने के लिए शिकार किया जाता है।[1]

सन्दर्भ

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  1. Donald G. McNeil, Jr. (September 16, 2010). "Precursor to H.I.V. Was in Monkeys for Millennia". New York Times. मूल से 11 मई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-09-17. In a discovery that sheds new light on the history of AIDS, scientists have found evidence that the ancestor to the virus that causes the disease has been in monkeys and apes for at least 32,000 years — not just a few hundred years, as had been previously thought. ... That means humans have presumably been exposed many times to S.I.V., the simian immunodeficiency virus, because people have been hunting monkeys for millenniums, risking infection every time they butcher one for food.
  2. McNeil Jr, Donald (17 सितंबर 2010). "Precursor to H.I.V. Was in Monkeys for Millenniums". दि न्यू यॉर्क टाइम्स. मूल से 20 जून 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 सितंबर 2010.