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हीर रांझा (1970 फ़िल्म)

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हीर रांझा

फ़िल्म का पोस्टर
निर्देशक चेतन आनन्द
लेखक चेतन आनन्द (पटकथा)
कैफ़ी आज़मी (संवाद)
वारिस शाह (लेखक)
निर्माता हिमालय फ़िल्म्स
अभिनेता राज कुमार
प्रिया राजवंश
कथावाचक चेतन आनन्द
छायाकार जाल मिस्त्री
संपादक जादव राव
संगीतकार मदन मोहन
कैफ़ी आज़मी (गीतकार)
प्रदर्शन तिथि
1970
लम्बाई
142 मिनट
देश भारत
भाषा हिन्दी

हीर रांझा चेतन आनन्द द्वारा निर्देशित 1970 में बनी हिन्दी फ़िल्म है। इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार राज कुमार और प्रिया राजवंश हैं। इस फ़िल्म की विशेषता यह है कि इसके संवाद पद्य (नज़्म) में हैं।[1]

संक्षेप

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रांझा (राज कुमार) तख्त हजारा गांव का सुंदर एवं लापरवाह युवक है। वह अपने सात बड़े भाइयों और उनके परिवारों के साथ एक बड़े से घर में रहता है। वह झांग गांव की यात्रा करने की योजना बना रहा है जहां उसके करीबी दोस्त की शादी हो रही है। उसका परिवार उसे रोकता है क्योंकि तख्त हजारा और झांग के लोग सदियों से कट्टर दुश्मन रहे हैं। वह उनकी चेतावनी को नजरअंदाज कर देता है और शादी के लिए निकल जाता है। शादी के नृत्य के दौरान, उसकी मुलाकात एक आकर्षक युवा लड़की, हीर (प्रिया राजवंश) से होती है। वह झांग के एक जमींदार की बेटी है। वह उसकी सुंदरता पर मोहित हो जाता है। वह उससे कहता है कि जब तक चिनाब नदी बहती रहेगी वह उसके साथ रहेगा।

बाद में, हीर अपने माता-पिता से उसे अपने यहाँ काम दिलाती है। वह नियमित रूप से रांझा के लिए खाना लाती है और उनके बीच गहरी दोस्ती हो जाती है। वह अपने प्यार का इज़हार करता है और पूछता है कि क्या वह भी ऐसा ही महसूस करती है। बाद में एक गाने के जरिए हीर बताती है कि वह उससे प्यार करती है। प्रेमी अपने दोस्तों की मदद से गुप्त रूप से मिलते रहते हैं। हीर के चाचा छोटे चौधरी (प्राण) उनके यहाँ आते हैं। उसकी शारीरिक अक्षमताओं के कारण, उससे कोई शादी नहीं किया है। जब वह लोगों को प्यार में पाता है या शादी करते हुए देखता है, तो उसे गुस्सा आ जाता है। वह बगीचे में हीर और रांझा को गले मिलते हुए देखता है। वह ईर्ष्या से भर जाता है। इससे पहले कि हीर अपने माता-पिता को रांझा के बारे में बताती, छोटे चौधरी उसके परिवार को उनके संबंध के बारे में बता देता है।

मुख्य कलाकार

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सभी गीत कैफ़ी आज़मी द्वारा लिखित; सारा संगीत मदन मोहन द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."जो मामा मेरा आ जायेगा"हेमलता, एस बलबीर, कृष्णा काले, उषा टिमोथी3:58
2."दो दिल टूटे दो दिल हारे"लता मंगेशकर6:08
3."तेरे कूचे में तेरा दीवाना"मोहम्मद रफ़ी6:39
4."ये दुनिया ये महफ़िल"मोहम्मद रफ़ी7:03
5."मेरी दुनिया में"मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर4:26
6."नाचे अंग वे"जगजीत कौर, शमशाद बेगम, नूरजहां3:54
7."डोली चढ़ते हीर ने"लता मंगेशकर6:09
8."मिलो ना तुम तो हम घबराये"लता मंगेशकर4:58

सन्दर्भ

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  1. "'हीर-रांझा' की शूटिंग में तबस्सुम से एक ही शेर बार-बार सुनते थे राजकुमार, उनकी मौत के बाद अभिनेत्री ने बताई थी वजह". जनसत्ता. 10 मई 2021. अभिगमन तिथि 23 अगस्त 2023.

बाहरी कड़ियाँ

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